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बाल ठाकरे के जीवन से जुड़ी कुछ खट्टी-मीठी बातें!!

bal thakreyहिंदुओं, विशेषकर मराठियों के हित के लिए कार्य कर रही शिव सेना दल के प्रमुख बाल ठाकरे आज अपने जीवन के सबसे कठिन दौर से गुजर रहे हैं. 23 जनवरी, 1926 को पुणे, महाराष्ट्र में जन्में बाल ठाकरे जिन्हें मीडिया ने बाला साहेब ठाकरे की उपाधि से नवाजा था, का स्वास्थ्य बेहद खराब है. हालांकि बाल ठाकरे के पुत्र उद्धव ठाकरे के अनुसार प्रशंसकों की दुआओं और डॉक्टर की दवाओं का असर बाल ठाकरे की तबियत पर दिखने लगा है लेकिन फिर भी अभी तक उनकी देखरेख कर रहे डॉक्टरों ने यह आश्वासन नहीं दिया है कि वह पूरी तरह स्वस्थ हो चुके हैं.




इस लेख में हम आपको मराठी भाषा के कट्टर पैरोकार बाल ठाकरे के जीवन से जुड़ी कुछ ऐसी जानकारियों से रूबरू करवा रहे हैं जिनके बारे में शायद आप नहीं जानते. शिवसेना का गठन करने वाले बाल ठाकरे हमेशा से ही गैर मराठियों पर अपना निशाना साधते आए हैं. भले ही महाराष्ट्र के बाहर के लोग बाल ठाकरे को एक कठोर नेता के तौर पर जानते हों लेकिन मराठियों के लिए बाल ठाकरे एक मसीहा से कम नहीं हैं.


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1. बाल ठाकरे अपने भाषणों के जरिए महाराष्ट्र की राजनीति में उबाल लाते रहे हैं. 1966 में जब उन्होंने शिवसेना का गठन किया था तो इससे पहले उन्होंने ‘मार्मिक’ नाम से एक वीकली पॉलिटिकल मैगजीन शुरू की थी. इस वीकली मैगजीन के जरिए वह अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाने की कोशिश करते थे.


2. अपने जीवन में बाल ठाकरे राजनीतिक और सामाजिक तौर पर बेहद सक्रिय रहे लेकिन जब उनका स्वास्थ्य गिरने लगा तो उन्होंने पार्टी की कमान अपने बेटे उद्धव ठाकरे को सौंप दी थी.


3. बाल ठाकरे का बॉलिवुड के कई बड़े सितारों के साथ करीबी रिश्ता है जिनमें सदी के सुपरस्टार अमिताभ बच्चन भी हैं. जब अमिताभ बच्चन और जया बच्चन का विवाह हुआ था तब बाल ठाकरे ने इस नव दंपत्ति को खाने पर बुलाया और जया का स्वागत परिवार की एक नई बहू के तौर पर किया गया था.


4. मराठी मानुष के मुद्दे को सबसे अधिक अहमियत देने वाले बाल ठाकरे को मराठियों का बहुत प्रेम मिला है. उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र विशेषकर शिवसेना के लोग उन्हें एक पिता की तरह मानते हैं. यही वजह है कि बाल ठाकरे की एक आवाज पर शिवसैनिक कुछ भी करने से गुरेज नहीं करते.


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5. बाल ठाकरे के भतीज राज ठाकरे को ही बाल ठाकरे का वारिस माना जा रहा था लेकिन जब वर्ष 2004 में उद्धव ठाकरे को कमान सौंपी गई तब निराश और हताश राज ठाकरे शिवसेना से अलग हो गए और 2006 में उन्होंने महाराष्‍ट्र नवनिर्माण सेना का गठन किया. हालांकि राज ठाकरे की पार्टी मनसे भी शिवसेना की नीतियों पर ही चलती है और राज ठाकरे भी गैर मराठियों के लिए आग उगलते रहते हैं.

शासक की योग्यता ही नहीं है !!

अरे नेताजी यह क्या बात हुई !!



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