सलमान खुर्शीद को अचानक हज यात्रा पर भेजने की तैयारी यूपीए सरकार कर चुकी है. शायद कहीं खुर्शीद पर पड़ी विकलांग घोटाले की छाया उन्हें अपाहिज ना बना दे इसलिए सलमान को विवादों से दूर रखने के लिए ही सरकार उन्हें हज यात्रा पर भेजने का विचार कर रही है. पर यह समझ पाना आम जनता की समझ से परे है कि सलमान खुर्शीद को बचाने की इतनी कोशिशें क्यों की जा रही हैं. आलाकमान सोनिया गांधी का रॉबर्ट वाड्रा के प्रति स्नेह तो समझ में आता है क्योंकि रॉबर्ट वाड्रा सोनिया के दामाद हैं पर सलमान खुर्शीद के लिए इतना स्नेह क्यों दिखाया जा रहा है. ऐसा क्यों हो रहा है कि यूपीए सरकार सलमान खुर्शीद को बचाने के लिए तमाम उपाय कर लेना चाहती है. ऐसी खबर है कि कानून मंत्री सलमान खुर्शीद भारत सरकार की ओर से हज यात्रा पर भेजे जाने वाले प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे.
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हज पर जाने वाले प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व सरकार के विश्वासपात्र और बड़े ओहदेदार को सौंपा जाता है. यूपीए सरकार ने सलमान खुर्शीद को हज यात्रा पर भेजे जाने वाले प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने का काम सौंप कर एक तीर से दो निशाने लगाने की कोशिश की है. एक निशाना यह होगा कि कानून मंत्री के देश से बाहर जाने से विकलांग ट्रस्ट घोटाला मामले को लेकर उन पर किए जा रहे हमलों की धार मंद पड़ जाएगी और दूसरा निशाना यह होगा कि यूपीए सरकार सलमान खुर्शीद के आचरण को बेदाग बताकर अपने आचरण को भी बेदाग बना लेगी.
कांग्रेस का सलमान खुर्शीद की रक्षा करने के पीछे क्या स्वार्थ है इस बात का जबाव सलमान खुर्शीद की रसूखदार पृष्ठभूमि ही दे सकती है. इस बात से कोई अनजान नहीं है कि जाति और अल्पसंख्यक के आधार पर भारत में राजनीति करने का इतिहास रहा है. याद होगा सभी लोगों को वो समय जब उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए मुस्लिम अल्पसंख्यकों के आधार पर छद्म सेकुलरवादी राजनीति की गई थी. आज भी इतिहास अपने आप को दोहरा रहा है. सलमान केंद्र सरकार के अल्पसंख्यक चेहरा माने जाते हैं. खुर्शीद को उनके पद से हटाना कांग्रेस सरकार के लिए इतना आसान नहीं है. खुर्शीद की रसूखदार पृष्ठभूमि और उनका अल्पसंख्यक होना ही उनका सबसे बड़ा बचाव है. सलमान खुर्शीद पूर्व केंद्रीय मंत्री खुर्शीद आलम खान के पुत्र और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन के नाती हैं. खुर्शीद ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई लिखाई कर लंबे समय तक वकालत भी की है.
सलमान खुर्शीद उत्तर प्रदेश के उस हिस्से से संबंध रहते हैं जहां अल्पसंख्यकों की अच्छी खासी आबादी है. कांग्रेस आलाकमान ने सलमान खुर्शीद को केन्द्रीय कानून मंत्री के साथ-साथ केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों का मंत्री भी बनाया हुआ है जो इस बात को साबित कर देता है कि कांग्रेस के लिए सलमान खुर्शीद बहुचर्चित अल्पसंख्यक चेहरा हैं. पर यह सब बातें भी यूपीए को मजबूर नहीं कर सकती थीं सलमान का रक्षा कवच बनने के लिए. दरअसल बात यह है कि कांग्रेस पार्टी में सलमान खुर्शीद ऐसे मंत्री हैं जिनका चरित्र और आचरण स्वच्छ माना जाता था और कांग्रेस यह बात अच्छी तरह से जानती है कि 2014 के संसदीय चुनाव में सलमान जैसे मंत्री ही कांग्रेस के आचरण को बेदाग साबित करेंगे. इसलिए कांग्रेस ऐसा कोई भी उपाय नहीं छोड़ना चाहती है जो खुर्शीद को बेदाग साफ कर सके. कांग्रेस सरकार के खुद को बेदाग साबित करने की मजबूरी ही सलमान खुर्शीद को बेदाग साबित करने पर मजबूर कर रही है. इसलिए आलाकमान आज अपने दामाद की फिक्र से ज्यादा एक मामूली कानून मंत्री की फिक्र करती हुई नजर आ रही हैं.
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