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‘आप’ यहां आए किसलिए…

कटाक्ष
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AAP Survey Politics Comment

अभी कुछ दिनों पहले तक हर किसी की जबान पर एक ही सवाल था ….’आप’ यहां आए किसलिए…? उस वक्त उन्हें अपने वजूद का पता ही नहीं था तो वे जवाब नहीं दे सके. लेकिन आज नजारा यह कि जनाब बड़े आत्मविश्वास से हर उस सवाली को ढूंढ़-ढूंढ कर जवाब दे रहे हैं…बुला-बुलाकर कह रहे हैं – ’आप’ यहां आए इसलिए…आपने बुलाया इसलिए…


कैप्सूल्स खरीदने के पैसे की बचत अलग. अजी हम ‘आप..की’ सरकार की बात कर रहे हैं. नहीं समझे…ऊंह..हुह…जनाब आपकी नहीं ‘आप’ यानि की ‘आम आदमी पार्टी’ की बात कर रहे हैं. आपकी …मतलब ‘आप’…की जब सरकार आएगी तो देश की राजधानी दिल्ली कुछ इसी तरह तो बदल जाएगी! और इस दिल (दिल्ली) से होते हुए यह रौशनी पूरे देश में फैल जाएगी…क्यों…मान गए न ‘आप’ की ताकत.


आप कहेंगे हमें कैसे पता चला कि ‘आप’ आ रही है. कहानी यूं है…जरा ध्यान से पढिए…एक दशक पहले की बात है दिल ने ‘शील’ की बड़ी महिमा सुना थी. सुना था ‘शील’ और ‘ममता’ से जीवन में शांति का प्रकाश आता है. बस फिर क्या था बेचैन दिल्ली ने बिना देरी ‘शील की दीक्षा’ ले ली. उसे सर माथे पर बिठाया. बड़े सपने सजाए कि थोड़े दिनों के बाद ही यह ‘शील’ नाम का व्रत बेचैन दिल में वापस शांति स्थापित करेगा. लेकिन यह क्या…दिन बीतने के साथ बेचैनी दूर होना तो छोड़िए..यह तो और बेचैन उठा. दिल इतनी जोर-जोर से धड़कने लगा कि पूरा शरीर (देश) कांप उठा..यह क्या हो गया! अचानक दिल को हार्ट अटैक आ गया और दिल बुरी तरह दर्द से आहत हो उठा. ‘दिल’ की विशेषता है दोस्तों कि इस छोटी सी चीज से पूरा शरीर संचालित होता है. दिल को जरा सा खटका भी शरीर को मिटा सकता है. बस यही हाल इस दिल के साथ भी हुआ…

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दिल को बार-बार हार्ट अटैक आने लगे. यह समझ गया कि अगर जान बचानी है तो मुझे इस ‘शील की दीक्षा’ को त्यागना होगा. बस फिर इसने इसका रास्ता ढूंढ़ना शुरू किया. पर कहते हैं ‘आपसे बड़ा कोई नहीं’..पर हां, आपको इसकी पहचान के लिए आत्मज्ञान की जरूरत पड़ती है. दिल ने महसूस किया उसे आत्मज्ञान की जरूरत है. तभी संयोग से अचानक कहीं से एक बाबा दिल के सामने प्रकट हुए. उन्होंने कहा कि हम तुम्हें हर बेचैनी से मुक्ति देंगे. ठीक-ठीक तो नहीं पता लेकिन शायद दिल को वहीं आत्मज्ञान प्राप्त हुआ और इस आत्मज्ञान के प्रकाश में ‘आप’ का अभ्युदय हुआ…


इस तरह ‘आप’ का अभ्युदय तो हो गया लेकिन दिल को संशय था कि धमनियां इसे मानने से इनकार न कर दें. दिल का यह संशय बहुत जल्द दूर हो गया. ‘सर्वे’ नाम का एक देवदूत संदेशवाहक बनकर आया और भविष्यवाणी कर गया कि धमनियां ‘आप’ को अपनाने को तैयार हो रही हैं…और समय के साथ इसकी स्वीकार्यता बढ़ रही है…’आप’ की महिमा अपरंपार है..‘सर्वे’ नाम का यह संदेशवाहक शील की मारकता से त्रस्त दिल को नए रास्ते पर चलने का संदेश दे रहा है. अब तो आप…यानि कि आप (जनता) ही जानें कि इस आत्मज्ञान (‘आप’) को अपनाना है या नहीं. क्या खूब लॉजिक है ‘आप’ की सेवा में ‘आप’!…इसका एक अर्थ स्वार्थी होना भी हो सकता है…तो सावधान! ठोक बजाकर ‘आप’ को भी पहचानना..आजकल मिलावट का जमाना है..असली-नकली में फर्क बड़ा मुश्किल है..कहीं देवदूत की शक्ल में बहुरूपिया न हो कोई..उसने आकर अफवाह फैलाई कि सब तैयार हैं और सबके तैयार होने की गलतफहमी में आपने भी ‘इसे अपना लिया’…और बाद में उससे पूछते रहें…आप यहां आए किसलिए….

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