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फिर से एक खुलासे ने भारत की राजनीति और राजनेता दोनों पर सवाल उठाये हैं. किसी भी रूप में यह नहीं कहा जा सकता कि भारत पूरी तरह से गरीबी मुक्त हो गया है. भले ही कुछ रिपोर्टों के आधार पर यह दिखाने की कोशिश जरूर की गई है. एक ताज़ा रिपोर्ट के आधार पर पिछले पांच सालों में राजनैतिक पार्टियों की आय पर 2490 करोड़ की छूट मिली है. इस पूरे घटना की जानकारी सूचना के अधिकार के जरिए मिली है.
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इन्हें क्या चिंता: क्या आप इतनी छूट के ऊपर इनकी आमदनी का अनुमान लगा सकते हैं? शायद आपके सोचने की क्षमता उतनी ना हो जितनी की यह जमा कर चुके हैं. इस रिपोर्ट में कांग्रेस और भाजपा का नाम मुख्य रूप से लिया गया है. देश की दो सबसे बड़ी पार्टियों का अगर यह हाल है तो दूसरे लोगों के बारे में बात करना ही बेकार है. भारत की राजनीति में पूंजी की इतनी अधिकता हो गई है या यह कहना सटीक रहेगा कि यहां सबसे ज्यादा जरूरत पूंजी की ही है.
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गरीबी कहां है: अब शायद देश में गरीबी नहीं है बल्कि अब पूरा देश ही गरीब हो रहा है. जिस रफ्तार से यहां लूट की परंपरा आगे बढ़ रही है यह कहना ही ठीक होगा कि मात्र एक विशिष्ट वर्ग को छोड़ कर बाकी पूरा देश गरीब ही होगा. आखिर कोई क्यों इतने पैसे खर्च कर के पढ़े और फिर नौकरी के लिए भी पैसे दे इससे अच्छा वो राजनीति से ही ना जुड़ जाए. बिना किसी मशक्कत के अच्छी आमदनी भी है और कोई फिक्र की बात भी नहीं है और ना ही कोई डर क्योंकि डर तो गरीबों को लगता है इन्हें कैसा डर!
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कुछ आंकड़े: पिछले कुछ आंकड़ों को अगर आप जानेंगे तो आपके पैरों तले जमीन खिसक जाएगी. पिछले पांच सालों में कांग्रेस पार्टी को ही 1385.36 करोड़ रुपये की आय हुई वहीं बीजेपी को 682 करोड़ रुपये की. यह आय तो छूट के बाद की है और यह रिकार्ड में शामिल है पर राजनीति यहीं तक थोड़े ही सीमित रहती है. इसके अलावा भी ऐसे कई करोड़ रुपये होंगे जिसके बारे में किसी को जानकारी भी नहीं है और ना ही कभी होगी. बस ऐसे ही देश गरीब होगा और उनकी आय में बढ़ोत्तरी होती रहेगी.
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