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हॉट, स्पाइसी, शुद्ध देशी ‘कां-मोदी मार-वार’

कटाक्ष
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खुली-खुली सी एक सुबह, खुली सी एक धूप…राजनीति नाम है इसका, गए सब इसमें डूब……अभिनेता और नेता का रिश्ता ढूंढ़ेंगे तो आपको कुछ विलासराव देशमुख और रितेश देशमुख, अम्मा (जयललिता) जैसे कुछ रिश्ते मिल जाएंगे लेकिन अब चुनावी समय है तो आपको इससे कुछ ज्यादा भी मिलेगा..कुछ हॉट, स्पाइसी, शुद्ध देशी ‘कां-मोदी मार-वार’.

Narendra Modi and Rahul Gandhi



इस ‘कां-मोदी मार-वार’ में लीडरों की हाय-तौबा मची है. वार पर वार किए जा रहे हैं. जंग-ए-हिंदुस्तान चुनाव 2014 में लीडरों की फजीहत हुई पड़ी है पर थोड़े शायराना अंदाज में. शब्दों के खंजर से निशाने कहीं ज्यादा लगते हैं और शब्दों के तीर कहीं दूर तलक चुभते हैं. हमें यकीन है कि आपको भी इस पर यकीन होगा. नहीं होगा तो ‘डांग्रेस’ आपको यकीन करवा देगा.


आप कैसा लीडर चाहते हैं? एक मैच्योर या एक बच्चा? आपको काम करने वाले नेता चाहिए या मम्मी-पापा की गप्पें करने वाले राहुल बाबा….सॉरी सॉरी राहुल बाबा नहीं, लॉलीपोप चूसने वाले राहुल बाबा! यह हम नहीं कह रहे..एंटी-कांग्रेस ‘डांग्रेस’ कह रही है. अगर आप ‘डांग्रेस’ से अनजान नहीं हैं तो अपना मत रख दीजिए और अगर अनजान हैं तो जान लीजिए..कि… 2014 के चुनाव में आपको किसी पार्टी को वोट देने जाना अगर है….इस ‘कां-मोदी मार-वार’ की गली में आना मगर है…

पार्लियामेंट पहुंचने का शॉर्ट टर्म कोर्स


आप शॉक में मत आना लेकिन अभी के नजारे देखकर यह मानकर चलें कि 2014 के लोकसभा इलेक्शन में आपको चुनावी भाषण सुनने को नहीं मिलेंगे. देश के विकास के वायदे तो छोड़िए शायद झूठे वायदे भी नहीं मिलेंगे. इन्हीं वीडियो, टैग लाइन्स, जवाबी पंच लाइन को चुनावी भाषण समझकर चलें. कभी कांग्रेस की पंचलाइन, फिर उसके जवाब में भाजपा या उसके समर्थकों की पंचलाइन. कांग्रेस का प्रचार वीडियो, फिर जवाबी प्रचार. हां, एंटरटेनमेंट के लिए हो सकता है इस दौरान कुछ ज्यादा माथापच्ची न करनी पड़े. कांग्रेस-बीजेपी हैं आपके एंटरटेनमेंट के लिए. इन कुछ लाइनों पर गौर फरमाइए:


”रॉकेट साइंस नहीं, पॉकेट साइंस..”

”बच्चों की एक्सपेक्टेशंस, बिलीव्स, माइंड सेट है, वो ऑबियसली एक बच्चा ही बेहतर समझ सकता है,…जो थोड़ा बचकाना हो, इम्मैच्योर हो, क्रेजी माइंडेड हो…”

”गाना है…दिल तो बच्चा है जी…लीडर कच्चा है जी…”

“कोई सोच नहीं, खाली-पीली का जोश…”

”कांग्रेस कार्यकर्ता…जहां कोई कार्य नहीं करता”



अब बताइए इतनी अच्छी-अच्छी लाइनें आपको क्रिएटिव होने के लिए नहीं उकसा रहीं? आपके बच्चों को भी उकसा रही होंगी. आप खुद 18 साल के हो चुके बच्चे हैं तो इस इंस्पायर्ड क्रिएटिविटी से आप अपने मम्मी-पापा को इंप्रेस कर कोई नई डिमांड पूरी नहीं करवा सकते? कर सकते हैं? तो बताइए? किसको वोट देना चाहिए? ऑबियसली आप अभी यह डिसाइड नहीं कर सकते क्योंकि अप्रैल तक तो अभी कई चुनावी क्रिएटिव वर्क पोर्टफोलियो बनने वाले हैं. जाहिर है आप उसके बाद ही कोई फैसला करेंगे. लेकिन थैंक्स कहने में इतनी कंजूसी क्यों भई! थैंक्स तो बोलिए इन्हें कि आपको इतने क्रिएटिव आइडियाज दे रहे हैं. इंस्पायर कर रहे हैं.

हाय रे ये तेरी चौधराहट की बीमारी

पूत कपूत भले हो जाएं, ये माता कुमाता नहीं सौतेली माता हैं

कांग्रेस की राजनीतिक मुहिम

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