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सीबीआई की जांच ओह्ह…!!

कटाक्ष
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दूध का दूध और पानी का पानी होना क्या मात्र एक मुहावरे जैसा नहीं लगता? क्योंकि आज तक ना ऐसा कभी हुआ है और ना ही होने की उम्मीद ही लगती है. असल में यह क्यों बोला जाता है कोई ना कोई कारण तो इसके पीछे जरुर होगा. क्या कभी किसी ने इसको प्रयोग के रूप में लिया है? आमतौर पर यह शब्दावली राजनीति में ज्यादा प्रयोग की जाती है. राजनीति में एक बात और बहुत सुनने को मिलती है “आय से ज्यादा संपत्ति” अरे भाई तो इसमें खराब क्या है? राजनीति में तो लोग इसीलिए ही आते हैं, थोड़ी ना देश और जनता के बारे में सोचने के आते हैं!!! किताबी बातें किताबों में ही रहें तो ज्यादा अच्छा है.


akhilesh mulayam

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सीबीआई की जांच ओह्ह:अब शायद ही कोई ऐसा राजनेता हो जो सीबीआई की जांच से डरता हो. अब तो बच्चों की तरह इन्हें फुसला दिया जाता है. तब तो कोई प्रश्न ही नहीं उठता जब वो मुख्यमंत्री हो और उनके पिता पूर्व मुख्यमंत्री. हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उनके पिता मुलायम सिंह यादव की, जिनपर आय से ज्यादा संपत्ति होने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी है और सीबीआई को आदेश दिया गया है कि वो इस मामले की जांच करे. इस मामले में अखिलेश यादव की पत्नि डिंपल यादव को राहत मिली है और उन पर सीबीआई की जांच नहीं होगी ऐसा फैसला सुप्रीम कोर्ट ने किया है. यह ना जाने किस प्रकार का फैसला है जो एक ही परिवार के लोगों के बीच दूरत्व पैदा कर रहा है. ऐसा नहीं करना चाहिए एक तो पहले से ही भारत के परिवारों में एकता नहीं रह गई है और जो बची हुई है उसे ऐसे फैसले तोड़ रहे हैं. यह कहां का न्याय है?


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चिंता की बात नहीं है: इसमें चिंता की कोई बात नहीं है ऐसा तो होता रहता है. नाजाने कितनी बार ऐसे माहौल से राजनेता अपने आप को निकाल कर बाहर लाए हैं. मुलायम सिंह यादव को तो खुद ही राजनीति में महारत हासिल है, उन्हें किस बात की फिक्र!!जब बात आई थी कि एक युवा किसी राज्य का मुख्यमंत्री बनेगा, तो सब ओर एक य्ह विश्वास जागा था कि राज्य के विकास और स्थिति में थोड़ा सुधार आएगा. परंतु यह मात्र एक स्वप्न के और कुछ ना रह गया. इस पूरे विश्वास का आंशिक प्रमाण भी अखिलेश औए उनकी समाजवादी पार्टी नहीं पूरा कर सकी. कहीं ना कहीं इस बात की चर्चा जरूर होती है कि अखिलेश भी ठीक मुलायम सिंह यादव के नक्शे-कदम पर चल रहे हैं और इस बात को सिद्ध करने में स्वयं अखिलेश यादव भी अपना योगदान दे रहे हैं.


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आज की राजनीति: आज राजनीति करने के कुछ मुख्य आधार हैं जिनपर आप अच्छी तो नहीं पर ‘’पेट-भरुवा’’ राजनीति जरुर कर सकते हैं. आजकल इसका चलन भी है और अगर आप ऐसे ना हुए तो फिर आपको पुरानी सदी का कोई सामान माना जाएगा. अलगाववाद और जतिवाद पर राजनीति करना इनमें से प्रमुख विषय हैं. इनसे जुड़े आजतक कई सारे उदाहरण सामने आ चुके हैं, फिर भी यह रुक नहीं रहा है. नित्य ही इसमें नए-नए प्रयोग किए जा रहे हैं, जिससे पूरा देश प्रभावित हो रहा है. इसको रोकने की जितनी कोशिश नहीं की जाती उससे कहीं ज्यादा इस आग को हवा देने में राजनेता अपना योगदान देते हैं. यह मुद्दा मात्र उत्तर-प्रदेश तक ही नहीं सीमित है बल्कि देश भर की राजनीति में कई सारे ऐसे मुद्दे हैं जो आम जनता के मन में एक घिन की सृष्टि कर रहे हैं और इससे अनजान सत्ताधारी अपनी रोटियां सेकने में लगे हुए हैं.



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