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अगर आप इस जादुई स्याही को पाकर प्रसिद्धि पाने की लालसा रखते हैं तो माफ करना, इसके लिए आपको कुछ एलिबिलिटी क्राइटेरिया पूरी करनी पड़ेगी. स्याही की कीमत हजार डॉलर और करोड़ो रु. में नहीं है, न ही करोड़ं खर्च कर ही आप इसे पा सकते हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि जैसे अल्प्राजोलम और ऐसी दवाइयां खरीदने के लिए डॉक्टर के प्रिसक्रिप्शन की जरूरत पड़ती है वैसे ही इस स्याही को पाने के लिए आपका कैरेक्टर सर्टिफिकेट होना बहुत जरूरी है. आपके हित में हमारी सलाह बस इतनी है कि इस कैरेक्टर सर्टिफिकेट को हल्के में मत लेना!
नोटरी जाकर 100रु. खर्च कर कैरेक्टर सर्टिफिकेट बना सकते हैं लेकिन इस इंक के लिए यह सर्टिफिकेट काम नहीं करता दोस्त! इसके लिए आपको ईमानदारी से अपना कैरेक्टर बनाना पड़ेगा. करोड़ों रु. का ‘सहारा’ यहां आपके काम आ सकता है. लोगों से उनकी मदद के नाम पर पैसे लीजिए. कोई बात नहीं! हम समझते हैं कि पैसे देखकर तो सबका मन बदल जाता है, कौन कह रहा है आप उनसे लिए पैसों से उन्हीं की मदद कीजिए. आपको बस ‘सहारा’ बनना है जिसके लिए बस मदद करने की जरूरत है. उन लोगों की नहीं तो क्या हुआ, आपकी मदद तो हो रही है, आपकी संपत्ति बढ़ रही है तो देश की संपत्ति बढ़ रही है. तो क्या यह देश की मदद नहीं है? जरूर है! आप अमीर बनकर देश से एक आम आदमी, गरीब आदमी कम कर रहे हैं. यह है आपका कैरेक्टर जिसे ‘सहारा कैरेक्टर’ कह सकते हैं. ऐसे ही और भी कई प्रकार के कैरेक्टर सर्टिफिकेट आप कमा सकते हैं जैसे ‘क’ ‘जरी वाला’ ‘आम आदमी सर्टिफिकेट’! उम्मीद है आप समझ गए होंगे कि इस सर्टिफिकेट को बनाना नहीं कमाना है और कमाने के लिए लोगों को उल्लू बनाना है.
उल्लू को गलत सेंस में मत लो भाई, उल्लू लक्ष्मी माता की सवारी है. इसलिए अगर कमाना है तो उल्लू को तो घर लाना पड़ेगा. आप लाएंगे कहां से इतने उल्लू? देखा है कहीं दिन में उल्लू को उड़ते हुए? नहीं न! और रात में जाओगे पीपल की कोटर में उल्लू से साथ आने की रिक्वेस्ट करने? नहीं न! तो एकमात्र तरीका बचता है ‘स्टार्ट प्रोडक्शन’! अब मम्मी से उल्लू को भाई बनाकर लाने को तो नहीं बोल सकते, बीबी भी ऐसी डिमांड सुनकर डर जाएगी. इसलिए एकमात्र रास्ता बचता है ‘उल्लू बनाना शुरू करो’….भाई, उल्लू बनाना शुरू करो!!!!
चलिए इंक पाने के तरीके तो जान लिए अब इसकी महिमा गाथा भी सुन लें. क्या कहें, इस इंक की जितनी तारीफ की जाए कम है. जिसने इस इंक को पाया है जिंदगी संवर गई उसकी. हाथ कंगन को आरसी क्या..अब केजरीवाल जी को देख लीजिए. बेचारे बड़ी मुश्किल से अन्ना की छाया से तो छूट गए लेकिन हर दिन अपने आंसुओं को अपने चश्मे के पीछे छुपाना पड़ता था. तब काली इंक को उन पर दया आई. उसने बड़े प्यार से उनके गाल पर पप्पी ली. केजरीवाल जी इतने भावविह्ल हो गए कि बेचारे इंक के इस प्यार पर आंखें फाड़े बस बैठे ही रह गए. सबको लगा कि केजरीवाल काली स्याही के अपने गाल पर आने से दुखी हैं लेकिन सच यह था कि जितना साफ काली स्याही का दिल है उतना ही साफ केजरीवाल का भी. उन्होंने काली स्याही का काला नहीं लेकिन उसका गोरा रूप देखा. उन्हें विश्वास था कि काली स्याही का यह प्यार उन्हें उजला भविष्य देगी और देखिए उनका विश्वास रंग लाया! वे सीधे दिल्ली के सिंहासन पर बैठे.
हर किसी को तो नहीं लेकिन काली स्याही का यह प्यार किसी-किसी को तो मिलता ही है. इस नंबर में आप कहां हैं यह तो हमें नहीं पता लेकिन देखिए आपसे पहले ‘मां के भक्त’ सुब्रत राय जी का नंबर आ गया. बेचारे ने इतनी जिल्लत झेली मां के लिए! मां का हाथ पकड़कर बैठे बेटे पर अदालत का जुल्म देखिए कि उसे अरेस्ट करवाकर बुलवा लिया लेकिन मां का आशीर्वाद दुनिया में सबसे ताकतवर है दोस्तों! यह साबित हो गया. यह साबित हो गया, जब पुलिस के पहुंचने से पहले ही मां ने उन्हें अपनी हालत का वास्ता देकर अपने हाथों से खरीदी हुई दवाइयां लाकर खिलाने के लिए मेडिकल स्टोर भेज दिया. मां की यह महिमा फिर नजर आई दोस्तों, जब बिना किसी इंविटेशन सुब्रत राय के गाल पर काली स्याही ने पप्पी दी. खुशी के मारे सुब्रत राय दौड़कर भागे. प्रूफ दिखाया मीडिया को काले रंग में अपने चमकते हुए भविष्य का. उन्हें उम्मीद है यह काली स्याही उनके धब्बे एकदम गायब कर देगी. हम भी यही दुआ करते हैं.
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