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सत्ता प्राप्त करने के लिए कुछ भी किया जा सकता है, इसमें घिन नहीं आनी चाहिए और राजनीति में कैसी घिन साहब !!!!! इसमें तो जितनी गन्दगी होगी उतना ही फायदा पहुंचता है. इस दौड़ का उद्देश्य विहीनता प्रथम लक्ष्य होना चहिए और अगर उद्देश्य है भी तो वो मात्र निजी होना चहिए वरना आप लक्ष्य से भटक सकते हैं और एक अच्छे राजनेता नहीं बन सकेंगे. राजनीति शास्त्र की तरफ ध्यान न दें वो केवल रद्दी पन्नों के अलावा और कुछ भी नहीं है. यह एक ऐसा विषय है जिसमें किताबी ज्ञान से ज्यादा व्यवहारिक ज्ञान मायने रखता है.
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राजनीति में नया विभाग – प्रेम मंत्रालय: कुछ राजनेताओं की यह मांग आजकाल कुछ ज्यादा ही प्रभावी हो गयी है कि सिर्फ धन और भ्रष्टाचार से और कितने दिन मनोरंजन हो पायेगा. कोई ऐसा विकल्प ढूंढ़ना होगा जिससे राजनीति में आज चुकी निरसता को हटाया जा सके. इस विशेष मांग के मद्देनज़र उन्होंने एक “प्रेम मंत्रालय” की स्थापना करने की बात रखी है जो अभी विचाराधीन है पर लग रहा है जल्द ही इस पर कार्यवाही की जाएगी. शशि थरूर पर कटाक्ष करते हुए नरेन्द्र मोदी ने इस बात को सबसे पहले रखा है. शायद वो इस पक्ष को इतने मजबूती से इसलिए रख रहे हैं क्योंकि वो भी अब अपने कट्टर नजरिये को बदलना चाहते हैं और अब प्रेम की राजनीति करना चाहते हैं. काश ऐसा हो पाये, पर इससे ऐसा कुछ भारी बदलाव आयेगा ऐसा नहीं लगता है, गाय कितना भी दूध दे पर लात मारना नहीं छोड़ती. बदलाव के बाद डर की आशंकायें कुछ ज्यादा ही बढ़ जाती हैं. अब बात है शशि थरूर साहब की तो वो अगर प्रेम करते हैं तो इसमे किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए, आखिर कब तक कोई एक ही तरह की राजनीति करता रहेगा कुछ तो बदलाव आना ही चाहिए.
साहब ये भी मजबूर हैं: क्या कहें यह भी तो मजबूर हैं वरना ऐसी बातें ही क्यों करते. नरेन्द्र मोदी भी अब समझ चुके हैं कि धर्मवाद के नाम पर अब ज्यादा वोट नहीं इकट्ठा किये जा सकते हैं, इसलिए वो नया रास्ता अख्तियार करते हुए महिलाओं पर ऐसी टिप्पणी कर रहे हैं वो भी कोई ऐसी वैसी नहीं केंद्रीय मंत्री की पत्नी पर टिप्पणी. काश मोदी थोड़ा तो सम्भल कर बोल लेते. असल बात तो यह है कि इन लोगों के लिये “सम्भलना” शब्द बना ही नहीं है ये तो कुछ भी कर सकते हैं (विकास और प्रगति को छोड़ कर) कुछ भी बोल सकते हैं. इनके लिए कोई नियम लागू नहीं होता है. अब तो आलम यह है कि सुनन्दा जी मोदी पर चरित्रहीनता का आरोप लगा रही हैं और महिलाओं की इज्जत करने की सलाह दे रही हैं. पर देखते हैं मोदी किस हद तक जाते हैं और फिर से मुख्यमंत्री बनने के लिए और क्या-क्या करते हैं…….!!!!!
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