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मुझे छोड़ तो दिया पर, भुला ना सके……

परवाना हूँ जलकर रहूँगा
परवाना हूँ जलकर रहूँगा
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वो मारते रहे पर रुला ना सके,

मुझे मौत की नींद सुला ना सके,

उनकी आँखों का पानी बयाँ कर रहा है,

मुझे छोड़ तो दिया पर, भुला ना सके……


डाला ही डाली पर क्यों जवाब दीजिये,

जब प्यार से एक घडी भी झुला ना सके


नफरत थी या प्यार था उनका , खुद अचरज में हूँ,

मेरे नाम लेके तक, मुझे बुला ना सके


एक सौ का नोट जो दे गए थे तुम

हम खुद बिक गए पर, खुला ना सके


अब साफ़ भी कह दो, तुम्हे डर क्या क्या किसी खुदा का ,

मुझे छोड़ तो दिया पर भुला ना सके

आपकी आँखों का पानी सबूत दे रहा है,

मुझे छोड़ तो दिया है पर भुला ना सके……..


रचियता : कवि प्रभात कुमार भारद्वाज”परवाना”
(समाज सेवक)
(आल इंडिया नेशनल क्राएम रिपोर्टर)
ब्लॉग का पता : http://prabhat-wwwprabhatkumarbhardwaj.blogspot.com/

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