शब्दों की दुनिया
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कसाब को फांसी का निर्णय बरकरार …..
लोकतंत्र की जीत हुई या हार ……….
पता नही मेरे यार ………
फांसी लगेगी भी या यूँ ही अटकता रहेगा
करोड़ों का राशन गटकता रहेगा
अनिर्णय हमारा देश पर भारी
जाने कैसी ये लाचारी
भेडिये बना दिए भेड़ों के रक्षक
आस्तीनों में छिपे हैं तक्षक
क्या करें उम्मीद इनसे
नही कोई उम्मीद जिनसे
हे मोहन, मन न तरसाओ
नैया हमारी पार लगाओ
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