शब्दों की दुनिया
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तुम्हारे लिए ..
मुसाफिर, कांपते दिल को थाम
माथे पर चमकती पसीने की बूंदों को सहला
पलकों के पर्दे को उठा , आँखों को बहला
हनुमान चालीसा बुदबुदाते होठों पर उंगली रख
भयानक जंगल नहीं तुम्हारी स्थिति है ,नियति है
मन पर पड़े कुहासे को फूंक
सोई मांसपेशियों पर पानी के छीटें फेंक
चल उठ ,देख ,रास्ता कहाँ है ?
मंजिल किस्मत की नही ,हिम्मत की मोहताज़ है
पीछे मत देख , अन्दर देख ,आगे देख
नज़र में रास्ता खोजने की ललक जगा
बाजुओं में पहाड़ तोड़ने की ताक़त जगा
पैरों में धरती नापने का वेग जगा
तुम देखोगे तुम्हारा डर निकल भागा
अब मन में हिम्मत है
बाजुओं मे ताक़त है
पैरों मे गति है ..
तो रास्ते ही रास्ते हैं
मंजिलें ही मंजिलें है
– प्रभु दयाल हंस
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