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नारी तेरी कथा निराली

शब्दों की दुनिया
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नारी तेरी कथा निराली


जन्म लिया जब तूने धरा पर
जन्मा जैसे जगत चराचर
लेकिन बोझ बनी वसुधा पर
दुखी हुआ पिता तुझ को पाकर
माँ की ममता तुझ पर थोड़ी
सारी बेटों के लिए जोड़ी
तेरी जीवन सरिता मोड़ी
यूँ ही तेरा बचपन बीता
जैसे खुशियों से हो रीता
तू कोमल फूलों की डाली
नारी तेरी कथा निराली

फिर जादू यौवन का छाया
अंग अंग तेरा मुस्काया
देखा पिता ने यह पाया
जमाना बड़ा खराब आया
बेटा जीता मुक्त जीवन
बेटी का क़ैद तन –मन
हंसने गाने पर बंधन
शिक्षा भी पूरी न पाई
न मन को विकसित कर पाई
चिड़िया बन गई पिंजरे वाली
नारी तेरी कथा निराली

फिर हुआ विवाह तुम्हारा
बना हर्ष का सेतु न्यारा
सच हुआ एक सपना प्यारा
जल्द धूल में मिल गया सारा
माँ समझा था सास मिली है
इच्छाओं की लाश मिली हैं
एक नौकरी खास मिली है
तू दहेज़ का भोग बनी है
खून से चुनरी तेरी सनी है
तू अबला तंदूर में डाली
नारी तेरी कथा निराली

फिर तेरी वृद्धावस्था आई
बच्चों पर पर्वत सी छाई
रोटी के लिए होती लड़ाई
छोटा कहे देगा बड़ा भाई
तेरी ममता न आई काम
काम करे तू सुबह शाम
पल भर भी न मिले आराम
फिर भी कहते हैं काम कर
सबसे अच्छा कही जाये मर
तेरी झोली अब भी खाली
नारी तेरी कथा निराली
नारी तेरी कथा निराली.

– प्रभु दयाल हंस

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