मेरी कलम से !!
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अब सवालो का जवाब हल नही होता।
तेरे बिना अब मेरा कल नही होता ।
यूँ तो पहले भी फिरते थे आवारा गलियों में,
पर अब दिल वो शल-शल नहीं होता ।
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कभी किताबो में लिखा तेरे ख्वाबो को हमने।
गुलिश्तायें रौसन चिरागों को हमने।
तस्वीरों में उतरा तेरी चाहतो की खुमारी,
अब किसी और चहरे का हमसे नक़ल नही होता।
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ये घरौंदा मोहब्बत का बनाया है अब तो।
फूलो की लड़ियो से सजाया है अब तो।
महकने लगी तेरी चाहतो की खुसबू,
टूटने के डर से अब इसमे हलचल नही होता
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