- 162 Posts
- 3241 Comments
आरक्षण –महिला
——————–
( नेपथ्य से आती आवाजें , उत्तरोत्तर बढती जाती , गुजरती एक भीड़ , धीरे धीरे मद्धिम पडती आवाजें। फिर दूर तक फैली शान्ति। पर ये स्थायी नही है , सिलसिला जारी रहता है , चेहरे और विषय वस्तु बदलते रहते है। इन्कलाब -जिन्दा बाद इन्कलाब -जिन्दा बाद इन्कलाब -जिन्दा बाद )
एक जत्था —महिला आरक्षण बिल लागू करो –हाय -हाय।
दूसरा जत्था – आरक्षण नही –संरक्षण चाहिये।
नट- सुन नटी ये इतनी सारी औरते कहाँ कों जा रही हैं , किस बात का आरक्षण माँग रही हैं ? तोहे न चही का –यो आरक्षण फारक्षण।
नटी- हम कौनो मूरख है. मेहनत करके खाते हैं , अपना खाते हैं। किसी की दया पर नही पलते और न ही पलना चाहते हैं। बैसाखी आखिर कब -तक।
नट- जब तक मूर्ख बनते रहो तब – तक।
नटी- आप बताइये , श्रृष्टि बनी तब कै लोग थे –२ थे न , एक मैं और एक तुम ?
नट- हाँ।
नटी- आपस में कार्य विभाजन शारीरिक कार्य क्षमता के आधार पर स्वेच्छा से किया न कि बौद्धिक क्षमता के आधार पर ?
नट- बौद्धिक क्षमता कभी भी कम नही रही , नारी, सदा अग्रणी रही हर क्षेत्र में और आज भी है. हर जाति और हर संप्रदाय में वीर , विदुषी , साम्राज्ञी नारी का अभाव कभी नही था और न ही आज है।
नटी- ये दिग भ्रमित हैं।
नट- वो कैसे ?
नटी- एक पत्नी -एक पद –नो आरक्षण
नट- एक पति -एक पद –नो आरक्षण
नटी -एक माँ -एक पद – नो आरक्षण
नट-एक पिता -एक पद -नो आरक्षण
नटी- एक बेटी -एक बेटा – नो आरक्षण
नट- एक भाई , एक बहना -नो आरक्षण
नटी- सुनो देखो दूर से आती हुई आवाजें –लगता है दूसरा जत्था आ रहा है। ( आँखों के ऊपर हाथ के पीछे से झाँकने का यत्न करते हुए )
भीड़ नारे लगाती हुई — सुनो सुनो ए कुर्ते वालों
— सुनो सुनो ए धोती वालों
–सुनो सुनो ओ पैंट वालो
— सुनो सुनो ए जीन्स वालों
दे दो आरक्षण , आरक्षण , दे दो आरक्षण
मिले आरक्षण तों हम भी हो जाएँ बलवान
हम सुखी हो और साथ सुखी हो हमारी संतान
दे दो आरक्षण , आरक्षण , दे दो आरक्षण
नटी- (भीड़ में से जमीन पर थकान के कारण बैठती एक वृद्धा की ओर बढते हुए –जत्था –धीरे धीरे निकल गया, पूंछती है )
माई , ये सब किस लिए और कहाँ आरक्षण माँग रही हैं। आप इतनी उम्र में इनके पीछे – पीछे दौड़ रही हैं ?
माई- ये राजनीति करेंगी हर क्षेत्र में चुनाव लडेंगी –३३ प्रतिशत आरक्षण आरक्षण चाहिये।
नट- आरक्षण सबको सब जगह चाहिये ,क्षेत्र , धर्म , जाति, भाषा न जाने किस – किस पर ? लगता है देश का नाम आरक्षिस्तान रखना पड़ेगा।
नटी- आखिर कब तक बांटते और बँटते रहेंगे ? आपस में नफरत की जंग लड़ते रहेंगे। ?
नट- कहाँ कमजोर है नारी ?
नटी- शोषण हेतु खुद कों क्यों प्रस्तुत कर रही है ?
नट- क्यों शिकार हो रही है , अपनों के द्वारा ?
नटी- नारी द्वारा नारी का शोषण।
नट- नारी तू अपने कों पहचान।
नटी- सबसे बड़ी ताकत , एक हो जा , कोई न कर सकेगा तुझे छूने की हिमाकत
नट- देखो पहले लगती थी पुरुष –महिला की अलग-अलग लाइन —-आरक्षण प्रतिशत ?
नटी- एक महिला -एक पुरुष , एक महिला -एक पुरुष , कों क्रम से सुविधा — —-आरक्षण प्रतिशत ?
नट- अब एक लाइन , शत -प्रतिशत फाइन ?
नटी- कितने प्रतिशत , ऑन लाइन ?
नट – नटी —सारी महिला एक हो जाओ।
पार्टी से मिले न टिकट -निर्दलीय लड़ाओ
पार्टी न हो तेरी बैसाखी
काम करो और विजय श्री पाओ
नट- ३३ प्रतिशत से १०० प्रतिशत बढ़िया , जरा सोचो फिर सभी कों बताओ
नटी-समझौता क्यों ३३ प्रतिशत का करना , जब १०० प्रतिशत भारत है अपना
आओ मिल हम सब प्रीत जगाएं , अखंड भारत के स्वर्णिम स्वप्न सजाएँ
नट -नटी — लक्ष्य न हो अब आरक्षण
— एक माँग मिले सबको संरक्षण
———-होगा विकास यहाँ बड़े धुरंधर
———देखे आओ चलें पोर बंदर
प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा
Read Comments