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आरक्षण –महिला

kushwaha
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आरक्षण –महिला

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( नेपथ्य से आती आवाजें , उत्तरोत्तर बढती जाती , गुजरती एक भीड़ , धीरे धीरे मद्धिम  पडती  आवाजें। फिर दूर तक फैली शान्ति। पर ये स्थायी नही है , सिलसिला जारी रहता है , चेहरे  और विषय वस्तु बदलते रहते  है।     इन्कलाब -जिन्दा बाद  इन्कलाब -जिन्दा बाद  इन्कलाब -जिन्दा बाद  )

एक जत्था —महिला आरक्षण बिल लागू करो –हाय -हाय।

दूसरा जत्था – आरक्षण नही –संरक्षण चाहिये।

नट- सुन नटी ये इतनी सारी औरते कहाँ कों जा रही हैं , किस बात का आरक्षण माँग रही हैं ? तोहे न चही का –यो आरक्षण  फारक्षण।

नटी- हम कौनो मूरख है. मेहनत करके खाते हैं , अपना खाते हैं।  किसी की दया पर नही पलते और न ही पलना चाहते हैं।  बैसाखी आखिर कब -तक।

नट-  जब तक मूर्ख बनते रहो तब – तक।

नटी- आप  बताइये , श्रृष्टि बनी तब कै लोग थे –२ थे न , एक मैं और एक तुम ?

नट- हाँ।

नटी- आपस में कार्य विभाजन शारीरिक कार्य  क्षमता के आधार पर स्वेच्छा से किया न कि बौद्धिक क्षमता के आधार पर ?

नट- बौद्धिक क्षमता कभी भी कम नही  रही , नारी,   सदा अग्रणी रही हर क्षेत्र में और आज भी है. हर जाति  और हर संप्रदाय में वीर , विदुषी , साम्राज्ञी नारी का अभाव कभी नही   था और न ही आज है।

नटी- ये दिग भ्रमित हैं।

नट- वो कैसे ?

नटी- एक पत्नी -एक पद –नो आरक्षण

नट- एक पति -एक पद  –नो आरक्षण

नटी -एक माँ -एक पद – नो आरक्षण

नट-एक पिता -एक पद -नो आरक्षण

नटी- एक बेटी -एक बेटा – नो आरक्षण

नट- एक भाई , एक बहना -नो आरक्षण

नटी- सुनो देखो दूर से आती हुई आवाजें –लगता है दूसरा जत्था आ रहा है। ( आँखों के ऊपर हाथ के पीछे से झाँकने का यत्न करते हुए )

भीड़ नारे लगाती हुई — सुनो सुनो ए कुर्ते वालों

— सुनो सुनो ए धोती वालों

–सुनो सुनो ओ पैंट वालो

— सुनो सुनो ए जीन्स वालों

दे दो आरक्षण ,  आरक्षण , दे दो आरक्षण

मिले आरक्षण तों हम भी हो जाएँ बलवान

हम  सुखी हो और साथ सुखी हो हमारी संतान

दे दो आरक्षण ,  आरक्षण , दे दो आरक्षण

नटी- (भीड़ में से जमीन  पर थकान के कारण बैठती एक वृद्धा की ओर बढते हुए –जत्था –धीरे धीरे निकल गया,   पूंछती है  )

माई ,  ये सब किस लिए और कहाँ आरक्षण माँग रही हैं।   आप इतनी उम्र में इनके पीछे – पीछे दौड़ रही हैं ?

माई- ये राजनीति करेंगी हर क्षेत्र में  चुनाव लडेंगी –३३ प्रतिशत आरक्षण आरक्षण चाहिये।

नट- आरक्षण सबको सब जगह चाहिये ,क्षेत्र , धर्म , जाति, भाषा न जाने किस – किस पर ? लगता है देश का नाम आरक्षिस्तान रखना पड़ेगा।

नटी- आखिर कब तक बांटते और बँटते रहेंगे ? आपस में नफरत की जंग लड़ते रहेंगे।  ?

नट- कहाँ कमजोर है नारी ?

नटी- शोषण हेतु खुद कों क्यों प्रस्तुत कर रही है ?

नट- क्यों शिकार हो रही है , अपनों के द्वारा ?

नटी- नारी द्वारा नारी का शोषण।

नट- नारी तू अपने कों पहचान।

नटी- सबसे बड़ी ताकत , एक हो जा , कोई न कर सकेगा तुझे छूने की हिमाकत

नट- देखो पहले लगती थी पुरुष –महिला की अलग-अलग लाइन —-आरक्षण प्रतिशत ?

नटी- एक महिला -एक पुरुष , एक महिला -एक पुरुष , कों क्रम से सुविधा — —-आरक्षण प्रतिशत ?

नट- अब एक लाइन , शत -प्रतिशत फाइन ?

नटी- कितने प्रतिशत , ऑन लाइन ?

नट – नटी —सारी महिला एक हो जाओ।

पार्टी  से मिले न टिकट -निर्दलीय लड़ाओ

पार्टी न हो तेरी बैसाखी

काम  करो और विजय श्री पाओ

नट- ३३ प्रतिशत से १०० प्रतिशत बढ़िया , जरा सोचो फिर सभी कों बताओ

नटी-समझौता क्यों ३३ प्रतिशत का करना ,  जब १०० प्रतिशत भारत है अपना

आओ मिल हम सब प्रीत जगाएं , अखंड भारत के स्वर्णिम स्वप्न सजाएँ

नट -नटी —  लक्ष्य न हो अब आरक्षण

— एक माँग मिले सबको संरक्षण

———-होगा विकास यहाँ बड़े धुरंधर

———देखे आओ चलें पोर बंदर

प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा

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