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” सुनहरे दिन -२ ”
गतांक से आगे -६
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नट – हुआ हुआ , भाई -हुआ हुआ। महा गठ बंधन , सफल हुआ।
नटी – घेरा भाई , खूब घेरा भाई , अभिमन्यु फिर विफल हुआ।
नट- बधाई हो बधाई गठबन्धन की तुमको। जीते भईया सबके मिले लड्डू हमको।
नटी – सहिष्णुता -असहिष्णुता की जंग खत्म हुई , धरना -प्रदर्शन की गति मंद हुई।
नट- घर बैठे जब मिल रहे हों दाम , अब वो रद्दी का टुकड़ा, भला किस काम।
नटी -१२० करोड में मुट्ठी भर आम , लगे रहे करने देश को बदनाम।
नट – प्रायोजित था कुछ न था अपना , बगल में छूरी राम राम जपना।
नटी – जगमगाते शहर में मोमबती जलाते , बेहतर होता सुखिया की कुटी सजाते।
नट – हिन्दुस्तान हमारा लहर पर है चलता , देश का नेतृत्व मजहब पर है छलता ,
फैसला आपका क्या कहेंगे आप , ख़ामोशी के साथ सब चलता है मेरे बाप ?
नटी – राज नीति में हैं बड़े बवंडर , आओ भाग चलें पहुंचे पोरबंदर।
प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा
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