*/
Menu
blogid : 7694 postid : 666033

क्यों न नेता बन जाऊँ (हास्य-कविता)

kushwaha
kushwaha
  • 162 Posts
  • 3241 Comments

जुम्मन अब्बू से बोला
दो पैसा बदलूँ चोला
निठल्लू जवान खाते गोला
सुधरो जल्दी तुमको बोला
पैसा न एक मेरे पास
कमाओ खुद छोडो आस
धंदा कोई न आता रास
बाजार करता न विश्वास
जेब कटी की सारी कमाई
पुलिस ले उडी भाई
युक्ती सुन्दर तुम्हे बताता
बन जा नेता का जमाता
अच्छी है ये तुम्हरी सीख
मांगनी पड़े अब न भीख
छुट भैया में बड़ा लोचा
करूँ धंधा कई बार सोचा
पनवाडी ने करा खाता बंद
सब बोले धंदा है मंद
माल मुफ्त अब मत खाओ
जीना है अगर यूँ ही
पुलिस मैन बन जाओ
पुलिस वालों की क्या जिंदगी
भ्रष्ट नेतन की करें बंदगी
नेता बन किस्मत अजमाऊँ
मंत्री पुत्र को साला बनाऊँ
पेट्रोल पम्प हों कई मधुशाला
गुजरे समय बीच रंगशाला
द्वार बैठ स्वामिभक्त कहलाऊँ
भोले बन राज जान जाऊँ
निकले वैकेंसी जब सदन में
गिरगिट अस दिखूँ हर दल में
साधू चोला ले चमकूँ गगन में
महामहिम बन दिखूँ  सदन में

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply