दो रंगी तस्वीर
दो रंगी तस्वीर
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सतरंगी दुनिया
सिमट कहाँ आयी है?
कौन है वो
किसने दोरंगी बनायी है?
हैं तो सात रंग
भ्रम अब भी पाले हैं
जीवन में हैं अँधेरे
कहीं
तो कहीं उजाले हैं
रिश्तों के रंग
देख देख थे चुने
ऊँची उड़ान के
स्वप्न थे बुने
स्याह सफ़ेद
लोगों ने
परिंदों के पर
नोच डाले हैं
प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा
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