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केंद्र की सत्ता में नरेंद्र मोदी विराजमान हैं, जो इस समय अपनी लोकप्रियता के शिखर पर हैं. दिल्ली में बैठे या प्रदेशों में बिखरे विपक्षी नेताओं की संपूर्ण आभा को भी अगर जोड़ लिया जाए, तो कुल मिलाकर भी वह इस अकेले शख्स की लोकप्रियता के क़द तक नहीं पहुंच पा रही. – #ईशू
इस पोस्ट के बाद #ईशू लिखा है. जाहिर है पोस्ट की प्रतिक्रिया में आप सब लिखेंगे कि यह पोस्ट #ईशू नाम के किसी मोदी भक्त की ‘आरती’ है, जो कि मैं हूँ. ठहरिए! यदि आप राष्ट्रीय अख़बार का अध्ययन करते हैं, तो आपको पता होना चाहिए कि उपरोक्त गद्यांश एक राष्ट्रीय-पत्र की संपादकीय का हिस्सा है. क्या आप अब भी वही प्रतिक्रिया देंगे, जो उपरोक्त जानकारी के अभाव में देते?
मुझे उम्मीद है मेरे दोस्त मुझे बताएंगे कि यह राष्ट्रीय-पत्र कौन सा है ? जिसे मैंने कट-पेस्ट किया है. उपरोक्त पोस्ट के मालिक के आईडेंटीफिकेशन के लिए ऐसा होना नैतिक दृष्टि से उचित भी होगा. मैं तो बाद में बताऊंगा ही कि मेरे मित्र इस ‘पोस्ट-पहेली’ में कितने सफ़ल रहे. प्रतिदिन लिखी जा रही अपनी पोस्ट के नए अंदाज़ के लिए मैं नई कोशिश करता रहता हूँ. अपनी बना दी गयी ‘मोदी भक्त’ छवि से छुटकारा पाने के लिए ऐसा होना अनिवार्य भी है.
बस, मेरा यह मानना है कि मोदी जी की निष्ठा व राष्ट्रप्रेम असंदिग्ध है. भारत के विकास और अडानी/अंबानी यानी बड़े आदमी के मध्य वे ज़रूरी संतुलन बनाए रखने में सफ़ल रहे हैं. आप उनके ‘लक्खी-कोट’ में ही लग गए, तो आप उन्हें पहचानने में विफ़ल रहेंगे. अब मान भी लीजिए कि मोदी जी नए भारत के निर्माण के रियल, जैनुअन आर्किटेक्ट हैं. वेलकम करें उनका और दें उन्हें 2019 के आम चुनाव तक पूरा सहयोग, जो उनका लोकतांत्रिक अधिकार है. हम सबका नैतिक कर्तव्य भी.
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