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डाक टिकट

Kavi_yaan
Kavi_yaan
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दिलों से दिल को मिलाने को
सामान बड़ा विकट बेचता हूँ
गौर से देखो मुझे
मैं सड़क पर डाक टिकट बेचता हूँ |

गली में गुज़री ज़िन्दगी सारी
लिफ़ाफ़े पूरी दुनिया में जाते हैं
कहीं मशवरे पहुंचते कैद होकर
कहीं से बंद रिश्ते आते हैं |

हर ठप्पे का मूल्य अलग
कि लिफाफा कहाँ तक जाएगा
अपनी तो आनो में आमदनी सारी
मुझको यहीं तू पायेगा |

मेरे तो सपने भी टिकट में है
की काश किसी टिकट पर होता मेरा भी चेहरा
घूमता सारे जहाँ में मैं
और देता किसी लिफाफे पर पहरा |

जीवन के भी कई टिकट
सुख, दुःख, पुण्य, पाप का
जिधर का लक्ष्य उधर का पाओ
जीवन है ये आपका ||

— प्रसेनजीत गर्गवंशी

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