Digital कलम
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भाग्य के फैसलों पर
रोने से, क्या फायदा
एकांत की रौशनी को
छूने से, क्या फायदा
वक़्त का बर्ताव था यह
पछताने से, क्या फायदा
अंगुलियों को पकड़ कर चलो तो सही
अतीत में जीने से, क्या फायदा ।
दुखों के ढेर पर
ठहरने से, क्या फायदा
जीवन की धड़कन है यह
रोकने से, क्या फायदा
नमियों को बरसने दो
छुपाने से, क्या फायदा
कदम बढ़ाओ तो सही
समय में रुकने से, क्या फायदा ।।
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