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महंगी शराफत !

Digital कलम
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महंगाई

“१० लाख से एक रूपया भी कम न लेंगे शादी में, अरे लड़के को इतना पढाया लिखाया, किसलिए ? और उपर से इतनी महंगाई |” चरण प्रसाद ने खरी खरी सुनाते हुए मुझसे कहा |
“ लेकिन साहब, लड़की को तो हमने भी पढाया है, इतने पैसों का तो मैं इंतजाम न कर सकूँगा “ मैंने मिन्नतें करते हुए कहा |
“पैसे नहीं है तो क्या हमने कहा था की लड़की पैदा करो | पूरा दिन ख़राब कर दिया हमारा, पहले ही बता दिया होता की भूखे नंगे हो तो यहाँ तक आने में पेट्रोल तो खर्च न करना होता, बहुत महंगाई हो गयी है |”
कमरे के दरवाजे पर छुप कर खड़ी अपनी बेटी के आंसुओं को देखने के बाद मुझसे रहा न गया | मैं तुरंत उठ कर खड़ा हुआ और चरण प्रसाद को १०० रुपये देते हुए बोला, “ये लीजिये अपने पेट्रोल के पैसे, घर वापस जाने के लिए | वैसे सही कहा जनाब, आज कल पेट्रोल और शराफत बहुत महंगी हो गयी है |” और मैंने दृढ़ विश्वास के साथ उनको घर के बाहर का रास्ता दिखाया |

(भवदीय – प्रशांत सिंह)

(प्रशांत द्वारा रचित अन्य रचनाएँ पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें – बदलाव)

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