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होली भ्रष्टाचार की
हमारे देश में हो रही है भ्रष्टाचार की होली,
नींव हमारे देश की हो गयी है खोखली,
पर न खोली नेताओं ने ईमान की पोटली,
मन करता है इनका सिर देने में ओखली |
भ्रष्टाचार हमारे देश का बना हुआ है नासूर,
पर लालफीताशाही का सारा है यह कसूर,
यह बेईमानों के लिए बन गया है दस्तूर,
पता नहीं कब टूटेगा भ्रष्टियों का गरूर |
जब ब्रहत अभियान चलेगा महामारी को मिटाने के लिए,
सिर पर ओले से पड़ेंगे भ्रष्टियों के लॉकरों के लिए,
खुलेंगे सारे काले चिट्ठे देशवासियों के लिए,
तब होगा देश का खजाना गरीब जनता के लिए |
अगर देश खोखला होगा तो परमाणु बम से सुरक्षा न होगी,
इस रोग को मिटाने के लिए भ्रष्टाचार को जान गंवानी होगी,
युवकों को आगे आकर ईमान की चाल बढ़ानी होगी,
अब भ्रष्ट शब्द को मिटाकर ईमान की परिभाषा बनानी होगी |
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