Menu
blogid : 12861 postid : 755819

आज जब बादल छाएँ – पांच नन्ही कविताएं

सत्यम्
सत्यम्
  • 169 Posts
  • 41 Comments

आज जब बादल छाए – पांच नन्ही कविताएं
(१)
कैसे होगा बादल कभी और नीचे
और बरस जायेगा ,
फुहारों और छोटी बड़ी बूंदों के बीच
मैं याद करूँगा तुम्हे
और तुम भी बरस जाना .
.(२)………………………………….
कुछ बूंदों पर लिखी थी तुम्हारी यादें
जो अब बरस रही है ,
सहेज कर रखी इन बूंदों पर से
नहीं धुली तुम्हारी स्मृतियाँ
न ही नमी भी आई उन पर ,
यादें तुम्हारी अब भी
उष्णता और उर्जा को लिये बहती है
और मैं उसमे नाव चला लेता हूँ .
(३)……………………………………
बरसात अभी कहीं होने को है
हवा बता रही है.
यह भी पता चला है
कि
तुमने गूंथी हुई चोटी खोल ली है
तुम्हारी.
(४)……………………………………..
भूमि अभी सख्त है
नहीं पड़ रहे पैरों के निशान अभी,
कि
इसलिए ही तुम अभी कहीं न जाना ,
मुझे आना है
इस बार वर्षा में तुम्हारे पीछे. .
(५)………………………………………
नहीं होती है उतनी
अप्रतिम ज्ञान कि अभिलाषा भी
कि जितनी पहली वर्षा की बूंदों की चिंता.
मेरी प्रज्ञा में
डूबते उतरती तुम्हारी गंध
बसी ही होंगी अबके बारिश कि बूंदों में.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply