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नितीश के नमो पत्र का उत्तर

सत्यम्
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Praaveen Gugnani, guni.pra@gmail.com 09425002270

नितीश के नमो पत्र का उत्तर

नितीश जी,

आपके राजनैतिक डी एन ए को लेकर मैनें आपको एक खुला पत्र जुलाई, 2012 में भी लिखा था; उसे स्मरणार्थ पढ़ें, लिंक प्रस्तुत है – http://pravakta.com/an-open-letter-in-the-name-of-nitish-kumar

आप समय समय पर अपनें विभिन्न रंग बताते रहें हैं. आपनें मंडल आयोग के समय भी कई प्रकार के रंग बताये थे. जाति-समाज में राजनीति व राजनीति में जाति-समाज का कूटनीतिक मिश्रण करना सदा से आपका प्रिय शगल रहा है. आपनें प्रधानमंत्री जी को खुला पत्र लिखा तो लगा कि बिहार के मुख्यमंत्री ने देश के प्रधानमंत्री को बिहार के विकास हेतु कोई योजना, सहायता, पैकेज, विकास की बात की होगी! किन्तु आपनें ऐसा कभी नहीं किया – सो अभी भी नहीं किया!! यही डी एन ए वाली बात का तात्पर्य है. आपनें सदैव कुत्सित राजनीति की है, और बिहार की यशस्वी भूमि को लज्जित किया है. महत्वकांक्षा होना अच्छी बात है किन्तु इसके लिए कुछ भी कर गुजरना और व्यक्ति, विचार, दल, समझौते, संगठन, विलय, महाविलय, गठबंधन की बलि चढ़ा देनें का आपका इतिहास बिहार सहित पुरे देश ने देखा है. आप अपनी स्वयं की प्रवृत्ति के अनुरूप नमो कथित डी एन ए के अलग अर्थ निकालकर और उसे सम्पूर्ण बिहार से जोड़कर, अपनें एक नए रंग का प्रदर्शन कर रहें हैं!!!

देश को स्मरण है कि भाजपा संग गठबंधन में रहते हुए ही आपकी जदयू बिहार में पैर जमा पाई थी. भाजपा के साथ लम्बी राजनैतिक पारी खेलनें के बाद आपकी महत्वकांक्षा ने अश्लील अंगड़ाई ली तब आप 2014 के लोस चुनाव के दो वर्ष पूर्व 2012 में ही प्रधानमंत्री बननें के सपनें देखनें बुनने लगे थे. असमय ही आप पुरे देश में मीडिया संयोजन करनें लगे और यह राग अलापनें लगे थे कि कोई सेकुलर दल का, सेकुलर प्रकार का व्यक्ति ही प्रधानमंत्री के रूप में आपको स्वीकार्य होगा. आपका प्रधानमंत्री बननें का दुह्स्वप्न इतना बढ़ा कि आप दुस्साहस में, सम्पूर्ण हिन्दू समाज को चोट पहुंचाते हुए यह तक कह गए थे कि – “कोई हिंदूवादी व्यक्ति इस देश का प्रधानमंत्री नहीं बन सकता.” आपनें सुव्यवस्थित चल रहे राजद गठबंधन में घमासान छेड़ कर उसका विध्वंस करनें का सम्पूर्ण किन्तु असफल प्रयास किया. नमो के डी एन ए की बात से यही आशय है कि आप प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री बननें के लिए बिहार के हितों को स्वयं के हितों से सदैव छोटा समझते हैं. हिंदूवादी व्यक्ति प्रधानमंत्री नहीं बनेगा यह घोषणा और इस हेतु दुर्भि संधियां आप कर सकतें हैं, और ऐसा आपने किया है!! डी एन ए से आशय यही है कि आप मात्र अपनी ही महत्वकांक्षा के लिए नकारात्मक चतुर, चालाक हैं. आपनें भोले भाले हिन्दू समाज के लिए कह दिया कि कोई हिंदूवादी व्यक्ति इस देश का प्रधानमंत्री नहीं बनेगा! राजद सरकार में रेल मंत्री रहते हुए आपनें कई बरस नमो के साथ कई काम किये, नमो के लिए प्रशंसा गान भी किये, और जब यही व्यक्ति सम्पूर्ण देश में लोकप्रिय होकर प्रधानमंत्री बननें की ओर अग्रसर होनें लगा तो आपनें अविलम्ब जहर उगला था और इस देश की सामाजिक समरसता और हिंदुओं के अधिकार की आहुति कर दी थी; यही आपका डी एन ए है! सत्ता के मोह में धर्मनिरपेक्षता नामक शब्द के अर्थ अचानक याद आना और अचानक भूल जाना, गठबंधन, विलय, महाविलय कर लेना, किसी को सांप और स्वयं को चन्दन कह देना यही डी एन ए है! 1996 में समता पार्टी के भाजपा से जुड़ने के समय आपके छः और भाजपा के 18 सांसद थे. भाजपा से गठबंधन के बाद आप बढ़कर 20 सांसदों वाली पार्टी के नेता बन गए और भाजपा घटकर 18 सांसद पर आ गई. दुर्भि संधियां करना और साथी गठबंधन के बच्चों को खाना, डी एन ए से आशय, यही है. 1992 – 96 के दौर में अयोध्या के बाबरी विध्वंस के बाद का दौर ऐसा था जिसमें भाजपा को तथाकथित धर्म निरपेक्षता वादी दल पुरजोर होकर ऊंची आवाज में साम्प्रदायिक, कट्टर और अछूत ठहरानें लगे थे, उस दौर में आप भाजपा के साथी बनें थे क्योंकि आपको बिहार में अजेय बनते जा रहे लालू को चुनौती देनी थी! यही आपका डी एन ए है !!

नितीश जी, 2004 के लोस चुनाव में राजद की हार के बाद से 2012 तक का इतिहास देखिये आप नमो के साथ कई स्थानों पर हंसते, मुस्कुराते, गलबहियां करते, अठखेलियाँ करते, सत्ता का भोग करते दिखाई देते हैं; कभी नमो की आलोचना करते नहीं दिखाई देते किन्तु जैसे ही आपको लगता है कि 2014 के लोस चुनाव में गठबंधन के नेता रूप में या तीसरे मोर्चे के नेता के रूप में आपकी भी संभावना है, तब आप उस संभावना को यथार्थ करनें के लिए सभी प्रतिबद्धता की केंचुली को एक क्षण में उतार देते हैं; यही डी एन ए है. 2014 में राजद के साथ रहते हुए भी आपने राष्ट्रपति चुनाव में प्रणब मुखर्जी का समर्थन किया और 1996 की भांति संयुक्त मोर्चे की सरकार का सपना देखते हुए, तीसरे मोर्चे और कांग्रेस के समर्थन से प्रधानमंत्री बननें की अश्लील राजनैतिक जमावट की थी, यही डी एन ए है. वो तो भला हो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का जिसनें आपके चरित्र को समय पर पहचाना और आपके दांव पेंचों के समय भाजपा को दृढ़ता प्रदान की और निर्णयों में लोच न आने दी वर्ना आप तो हिन्दुओं के प्रधानमंत्री बननें पर वैधानिक प्रतिबन्ध लगवा चुके होते! यही आपका डी एन ए है!! आपका सुबह राजग से गठबंधन तोड़ना और शाम को अचानक जालीदार टोपी खरीदनें का डी एन ए भी सभी ने देखा है.

नितीश जी, यह भी आपका डी एन ए ही है कि बिहार में सत्ता मोह में आप राजनैतिक अंधत्व का शिकार होकर जंगल राज और घोटाला राज के प्रतीक पुरुष लालू यादव से महाविलय का स्वांग रचते हैं. सत्ता मोह के डी एन ए के प्रभाव में आप लालू की यह व्यंजना भरी कुटिल भाषा भी मुस्कुरा कर सुन लेतें हैं कि वे “भाजपा को सत्ता से बाहर रखनें के लिए किसी भी प्रकार का जहर पीनें को तैयार हैं”. आपका सत्ता मोह का डी एन ए ही आपको विवश करता है कि – आप उन्ही लालू से महाविलय करते हैं जो आपके विषय में कहते हैं कि “ऐसा कोई सगा नहीं – जिसे नितीश ने ठगा नहीं”! आपका डी एन ए इस तथ्य में भी है कि आपनें लालू संग आपके लालू संग हुए महाविलय का स्वभाव, चरित्र, भविष्य के साथ साथ मृत्यु की तिथि भी तय कर दी है!! बिहार में नितीश-लालू की सत्ता आनें पर बिहार में जंगल राज से आशंकित एक प्रश्न के उत्तर में आपनें रहीम का जो दोहा सुनाया उससे बिहार की जनता को इस बेमन के गठबंधन के असहज, असंतुलित, असाम्य तथा अटपटेपन का पता चल गया है. आपके राजनैतिक पार्टनर या कम्पेनियन लालू को दी हुई आपकी उपमा में आप का डी एन ए दिख गया है जिसमें आपने स्वयं को चन्दन और लालू को सर्प बताते हुए कहा – जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करि सकत कुसंग। चन्दन विष व्याप्त नहीं, लिपटे रहत भुजंग।’ अर्थात लालू की बुरी, निकृष्ट, जहरीली संगत में भी आप में बुराइयां नहीं आएँगी! आप चंदन वृक्ष हैं और लालु जैसे सर्प यदि आपसे लिपटे भी रहेंगे तो भी आप तो सच्चरित्र बने ही रहेंगे!! वाह !!! यही डी एन ए है !!!!

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