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मकर संक्रांति से महा शिवरात्रि तक के पर्वों-स्नानों से आलोकित महाकुम्भ बढ़ चला पूर्णता की ओर

सत्यम्
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प्रवीण गुगनानी,47,टैगोर वार्ड,गंज बैतूल..प्र.09425002270guni_pra@rediffmail.com प्रधान सम्पादक दैनिक मत समाचार पत्र

कुम्भ में मकरसंक्रांति से महाशिवरात्रि तक के पर्व स्नान संपन्न

कुम्भ में विहिप के प्रयासों से प्रथम बार सम्मिलित हुए सिख, जैन, बोद्ध,लामा,स्वामीनारायण सम्प्रदाय और विभिन्न जनजातियों के पूज्य संत गण”

अंततः महान, महिमामयी और अविनाशी अनंत परम्पराओं के अनुरूप विशाल सनातनी समागम और हिन्दुओं के श्रद्धा केंद्र कुम्भों के भी कुम्भ महाकुम्भ का आयोजन मकर संक्रांति से प्रारम्भ होकर महा शिव रात्रि तक के उत्सवों और स्नानों के साथ संपन्न होनें की ओर अग्रसर हो रहा है. इस बार तीर्थ राज, त्रिवेणी संगम प्रयागराज में आयोजित इस महाकुम्भ की छटा और प्रभा विश्व हिन्दू परिषद् के शिविर से और अधिक आलोकित और प्रखर हो गई थी और यह कुम्भ सनातनियों को नहीं बल्कि भारतीयों के कुम्भ के रूप में अद्भुत पूर्णता को प्राप्त कर रहा था. यद्दपि उप्र सरकार के नकारा प्रबंधों के चलते प्रयाग राज में रेलवे स्टेशन पर बड़ी और ह्रदयविदारक घटना घटी जिसनें सेकड़ों धर्मावलम्बियों के प्राण ले लिए तथापि हिन्दुओं के इस आस्था केंद्र में इस बार विहिप ने अनोखे किन्तु समरसता कारक प्रयोग करके इस महाकुम्भ को अविस्मर्णीय बना दिया था. विहिप के प्रयासों से प्रथम बार इस महाकुम्भ में पंजाब से दो सौ सिक्खों का जत्था पुरे समय अपनें विशाल लंगर मंडप में डटा रहा और तीर्थयात्रियों को लंगर का भोग खिलाता रहा. इसी प्रकार महाराष्ट्र के वर्करी सम्प्रदाय के बंधू, गुजरात के स्वामीनारायण पंथ के बंधू, छत्तीस गढ़-झारखंड के आदिवासी बंधू, कर्नाटक के वीर शिव लिंगायत पंथ के बंधू, जैन साध्वी ज्ञान मति माता के साथ अन्य जैन संत गण, दक्षिण से अम्मा भगवान और उनका भक्त वृन्द, वरदाय पल्लम के अनुयायी, अरुणाचल एवं अन्य पूर्वोत्तर राज्यों के जनजातीय समाज के संत गण आदि पधारें थे. तिरुपति देवस्थानम से विशिष्ट रूप से बालाजी भगवान का प्रतीक रूप यहाँ आराधना का केंद्र बन गया था. विश्व हिन्दू परिषद् के प्रयासों से इस बार कुम्भ इन सभी पूज्य संत गणों के प्रथम आगमन का अनोखा अवसर बन पड़ा था और प्रयागराज में सम्पूर्ण हिन्दुस्थान के दर्शन सुलभ हो रहे थे. इनकें अतिरिक्त सम्पूर्ण राष्ट्र के चप्पे चप्पें से संत गण इस कुम्भ में पधारें थे. सर्वाधिक उल्लेखनीय उपस्थिति दलाई लामाजी के अनुयाइयों की रही, स्वयं दलाई लामा भी कार्यक्रम के अनुरूप अपरिहार्य परिस्थितयों वश नहीं पहुँच पाए थे.

इस महा कुम्भ में विहिप के केन्द्रीय मार्ग दर्शक मंडल ने माघ कृष्णपक्ष एकादशी विक्रम संवत् 2069 दिनांक: 6 फरवरी, 2013 को हिन्दू समाज और भारत भूमि की रक्षा और महिमा मंडन के लिए विभिन्न ज्वलंत विषयों पर पांच प्रस्ताव पारित किये जो संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत हैं-

प्रस्ताव श्रीराम जन्मभूमि

अयोध्या में श्री राम जन्म भूमि पर भव्य मंदिर निर्माण हेतु केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल सम्पूर्ण विश्व में फैले रामभक्त हिन्दू समाज का आवाह्न करता है कि प्रत्येक हिन्दू परिवार आगामी वर्ष प्रतिपदा विक्रमी संवत् 2070 दिनांक 11 अप्रैल, 2013 से अक्षय तृतीया दिनांक 13 मई, 2013  तक विजय महामंत्र ‘‘श्रीराम जय राम जय जय राम’’ का प्रतिदिन कम से कम ग्यारह माला  जप करके आध्यात्मिक बल निर्माण करें.

हम भारत सरकार को याद दिलाना चाहते हैं कि वर्ष 1994 ई0 में भारत सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में शपथपूर्वक कहा था कि यदि ‘‘यह सिद्ध होता है कि विवादित स्थल पर 1528 ई0 के पूर्व कोई हिन्दू उपासना स्थल अथवा हिन्दू भवन था तो भारत सरकार हिन्दू भावनाओं के अनुरूप कार्य करेगी’’ इसी प्रकार तत्कालीन मुस्लिम नेतृत्व ने भारत सरकार को वचन दिया था कि ऐसा सिद्ध हो जाने पर मुस्लिम समाज स्वेच्छा से यह स्थान हिन्दू समाज को सौंप देगा। 30 सितम्बर, 2010 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पूर्णपीठ द्वारा घोषित निर्णय से स्पष्ट हो गया है कि वह स्थान ही श्रीराम जन्मभूमि है जहाँ आज रामलला विराजमान हैं तथा 1528 ई0 के पूर्व इस स्थान पर एक हिन्दू मन्दिर था, जिसे तोड़कर उसी के मलबे से तीन गुम्बदों वाला वह ढाँचा निर्माण किया गया था. अतः आवश्यक है कि अब भारत सरकार एवं मुस्लिम समाज अपने वचनों का पालन करे.

केंद्र सरकार आगामी वर्षाकालीन संसद सत्र में कानून बनाकर श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण की सभी बाधाओं को दूर करते हुए वह स्थान श्रीराम जन्मभूमि न्यास को सौंप दे. भगवान का कपड़े का घर अब आँखों को चुभता है और इसके स्थान पर भव्य मन्दिर निर्माण करने को हिन्दू समाज आतुर है.

हमारा यह भी सुनिश्चित मत है कि जन्मभूमि के चारों ओर की भारत सरकार द्वारा अधिगृहीत 70 एकड़ भूमि प्रभु श्रीराम की क्रीड़ा एवं लीला भूमि है। मार्गदर्शक मण्डल चेतावनीपूर्वक भारत सरकार को आगाह करना चाहता है कि अयोध्या की सांस्कृतिक सीमा के अन्दर विदेशी आक्रान्ता बाबर के नाम से किसी भी प्रकार का स्मारक अथवा कोई इस्लामिक सांस्कृतिक केन्द्र नहीं बनने देंगे और अयोध्या के हिन्दू सांस्कृतिक स्वरूप की सदैव रक्षा करेंगे.

प्रस्ताव गोरक्षा

त्रिवेणी संगम प्रयागराज में चल रहे पूर्णकुम्भ के पावन अवसर पर इस सन्त महासम्मेलन की चिन्ता है कि भगवान श्रीराम और गोपालकृष्ण तथा तीर्थंकरों की पावनी धरा पर आज भी सूर्योदय के साथ प्रतिदिन 50 हजार गोवंश की हत्या हो रही है. हिन्दू समाज गोमाता को पूजनीय व सब देवों को धारण करने वाली माता मानकर उसके प्रति श्रद्धा और भक्ति भाव रखता है, किन्तु कांग्रेस गौ सेवक हिन्दू समाज को लम्बे काल से प्रताडि़त करती रही है. हिन्दू समाज गोरक्षा, गोसंवर्धन की बात करने लगा तो इन्होंने लगभग 4500 यांत्रिक कत्लखाने खोलकर गोहत्या की गति बढ़ाने का कार्य किया है. यांत्रिक कत्लखानों के अलावा लगभग 36 हजार रजिस्टर्ड कत्लखानों को भी सरकार ने पूर्व से ही अनुमति दे रखी है. गोवंश का नाम मिटाने के लिए प्रतिदिन तस्करी द्वारा 25-30 हजार गोवंश बंगलादेश को जा रहा है. यदि यही क्रम चलता रहा तो आने वाले कुछ वर्षों में भारत में गोवंश का दर्शन ही दुर्लभ हो जाएगा. आज की भारत सरकार गोवंश की हत्या करके गोमांस विदेशी राष्ट्रों में बेचकर पाप के डालर एकत्रित करने वाली सरकार है. यह सन्त महासम्मेलन रोषपूर्वक केन्द्र व राज्य सरकारों को चेतावनी देता है कि गोवंश रक्षा का केन्द्रीय कानून का निर्माण करो और अविलम्ब सभी यांत्रिक कत्लखानों को बंद करने का आदेश दो. यदि सरकार शीघ्रता से इस दिशा में सक्रिय नहीं हुई तो एक अभूतपूर्व जन ज्वार उठेगा जो गोहत्यारी कांग्रेस सरकार को धरती की धूल चटाएगा.

प्रस्ताव विषय: गंगा

प्रयागराज में पूर्णकुम्भ के अवसर पर केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल गंगा की वर्तमान स्थिति को लेकर चिन्तित है. गंगा के प्रवाह में जल की कमी और उसमें बढ़ते हुए प्रदूषण से गंगा की इस सनातन धारा पर संकट दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है. गंगा और उसकी सहयोगी नदियों पर बनने वाले बाँध और गंगोत्री से लेकर गंगासागर तक गंगा के तटवर्ती शहरों तथा उद्योगों का समस्त उत्सर्जित जल बिना किसी अवरोध के गंगा में गिर रहे हैं. सन् 1984 से लेकर अब तक प्रदूषण नियंत्रण के लिए केन्द्र एवं प्रान्त सरकारों द्वारा किए गए सभी प्रयास निरर्थक साबित हो रहे हैं. शहरी आबादी और उद्योगों से विसर्जित प्रदूषण की मात्रा, जल शोधन के लिए किए गए सरकारी उपायों से बहुत अधिक है. हरिद्वार में प्रतिदिन 70 डस्क् प्रदूषित जल-मल निकलता है जबकि जल शोधन यंत्रों की क्षमता मात्र 45 डस्क् की है. सन्त समाज समय-समय पर विभिन्न आन्दोलनों, सभाओं एवं धरना-प्रदर्शन के द्वारा सरकार का ध्यान इस ओर आकर्षित करता रहा है. लेकिन केन्द्र और प्रान्त की सरकरों का रवैया गंगा के प्रति सदैव गुमराह करने वाला रहा है. 2010 के हरिद्वार कुम्भ में आक्रोशित सन्त समाज को आश्वस्त करते हुए देश के प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह जी ने हम लोगों की माँग पर गंगा को राष्ट्रीय नदी तथा गंगा के अविरल और निर्मल प्रवाह को सुरक्षित करने के लिए ‘‘गंगा बेसिन प्राधिकरण’’ का गठन किया था, लेकिन ये दोनों बातें घोषणा मात्र ही साबित हुई हैं. न तो गंगा को राष्ट्रीय नदी का संवैधानिक अधिकार दिया गया है और न ही संसद से गंगा के राष्ट्रीय नदी की स्वीकृति हासिल की गई है. गंगा बेसिन प्राधिकरण का पुनर्गठन हो और उस प्राधिकरण में गंगा के निर्बाध और निर्मल प्रवाह के लिए प्रतिबद्ध वैज्ञानिकों, पर्यावरणविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और प्रमुख सन्तों को शामिल किया जाए.

प्रस्ताव हिन्दू आतंकवाद मुस्लिम वोट बैंक को आकर्षित करने का एक घृणित हथियार

जयपुर में आयोजित कांग्रेस के तथाकथित चिन्तन वर्ग में भारत के गृहमंत्री श्री सुशील शिंदे ने, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व भाजपा के प्रशिक्षण वर्गों में आतंकवादी प्रशिक्षण देने के संबंध में जो बयान दिया है वह अनर्गल है, निराधार है. वैसे तो इस बयान की चैतरफा निन्दा हुई है, पर अगर कोई खुश हुए हैं तो हाफिज सईद जैसे आतंकवादी ही खुश हुए हैं. मार्गदर्शक मण्डल यह जानना चाहता है कि शिंदे जी देश के गृहमंत्री हैं अथवा आतंकवादियों के प्रवक्ता हैं। मुस्लिम वोटों के भिखारी नेताओं ने पिछले दिनों ‘‘हिन्दू आतंकवाद’’ और ‘‘भगवा आतंकवाद’’ जैसे शब्दों में गढ़ा. अपनी गढ़ी हुई कहानियों को सत्य सिद्ध करने के लिए ही सरकार ने भारत के कुछ संतों व हिन्दुओं को पकड़ा परन्तु सब प्रकार के अमानवीय व्यवहार के बावजूद भी वे अभी तक पकड़े गए व्यक्तियों पर कोई दोष सिद्ध नहीं कर सके.  साम्प्रदायिक दंगों से हमेशा से पीडि़त हिन्दू समाज को ही अपराधी घोषित करने के लिए ‘‘साम्प्रदायिक एवं लक्षित हिंसा विरोधी विधेयक’’ लाया गया है. केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल का यह स्पष्ट अभिमत है कि मुस्लिम तुष्टिकरण के इस आत्मघाती षड्यंत्रों से ये लोग देश का भीषण अहित कर रहे है। कुम्भ मेले में एकत्रित सन्त समाज की माँग है कि:-

01. भारत के प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह गृहमंत्री श्री सुशील शिन्दे को तत्काल प्रभाव से पदमुक्त करके उनके इस अनर्गल प्रलाप के लिए भारत की जनता से माफी मांगे.

02. मुस्लिम तुष्टिकरण के इस साम्प्रदायिक कदमों को भारत की सभी सरकारें वापस लें.

03. भारत में समान आचार संहिता लागू करके भारत के सब नागरिकों के साथ समान व्यवहार करना प्रारम्भ करें.

केन्द्र सरकार व संबंधित राज्य सरकारें हिन्दू समाज को सड़कों पर उतरने के लिए बाध्य न करे और इन देशविरोधी कदमों को अतिशीघ्र वापस लें.

प्रस्ताव महिला सुरक्षा

जिस देश में ‘‘यत्र नार्यन्तु पूज्यते रमन्ते तत्र देवता’’ को मूल मंत्र माना जाता है और जहाँ पर सबसे सशक्त व्यक्तित्व के रूप में एक महिला को जाना जाता है, जहाँ पर लोकतंत्र के सबसे बड़े सदन लोकसभा की अध्यक्षा महिला है और नेता प्रतिपक्ष भी महिला हो, आज वहाँ पर महिलाओं की दुर्दशा से केवल भारत ही नहीं सम्पूर्ण विश्व का सभ्य समाज व्यथित हो रहा है.

दिल्ली में बलात्कार की एक घृणित एवं पैशाचिक घटना के कारण आज इस विषय पर सम्पूर्ण देश में चिन्ता व्यक्त की जा रही है। सन्त समाज का यह मानना है कि इस विषय पर समग्र दृष्टिकोण से विचार करना होगा. बलात्कार व अन्य इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए कठोरतम उपाय तो करने ही होंगे लेकिन महिलाओं के प्रति दृष्टिकोण में बदलाव लाने के लिए भी प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है. दूरदर्शन, चलचित्र या विज्ञापनों के माध्यम से नारियों का जिस तरह से चित्रण किया जाता है वह विकृत मानसिकता का ही निर्माण करेगी. बाल्यकाल से ही बच्चों को नैतिक शिक्षा से विमुख करके एक स्वस्थ मानसिकता निर्माण करने का विचार नहीं किया जा सकता है. धर्मनिरपेक्षता के नाम पर एक धर्मविहीन समाज का निर्माण किया जा रहा है.

1. शिक्षा के सभी स्तरों पर नैतिक शिक्षा अनिवार्य की जानी चाहिए.

2. दूरदर्शन, चलचित्र, विज्ञापन व अन्य प्रचार माध्यमों में महिलाओं का अश्लील चित्रण पूर्णरूप से प्रतिबन्धित होना चाहिए.

3. वर्मा कमेटी की अनुशंसाओं को पूर्णरूप से लागू किया जाना चाहिए. इस अनुशंसाओं में राजनीतिज्ञों से सम्बंधित अनुशंसाएं भी किसी भी स्थिति में छोड़नी नहीं चाहिए.

4. इन अनुशंसाओं में संशोधन करके बलात्कारी को मृत्यु दण्ड का संशोधन अवश्य करना चाहिए.

5. नाबालिग की आयु सीमा 18 वर्ष से 16 वर्ष करने की आवश्यकता है. जिससे उम्र की मर्यादा का लाभ उठाकर दुष्कर्मी कानून से बच न पाए.

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