Menu
blogid : 12861 postid : 648115

मिशन मोदी २०१४:बनाम म.प्र. विधानसभा चुनाव

सत्यम्
सत्यम्
  • 169 Posts
  • 41 Comments

मिशन मोदी 2014: बनाम म.प्र. विधानसभा चुनाव

मध्यप्रदेश के चुनावी संग्राम को चरम पर ले जाने और चरमोत्कर्ष के बाद विजय पताका फहराने के लिए भाजपा के प्रत्याशी प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी म.प्र. आ गए है. म.प्र. भाजपा की योजना के अनुसार नरेन्द्र मोदी यहाँ लगभग 20 चुनावी सभाओं को संबोधित करेंगे. भारत के ह्रदय प्रदेश का  चुनावी संग्राम और इसके साथ साथ देश के अन्य चार राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव निश्चित ही आने वाले लोकसभा चुनाव यानि “मिशन मोदी 2014” के लिए एक बड़ा टर्निग पाइंट साबित होंगे. देश के इन बड़े राज्यों में हो रहे राज्यीय चुनाव में यदि मत सर्वेक्षण की दृष्टि से कहे या देश के बाकी हिस्सों में हवा का रूख बदलने की दृष्टि से म.प्र. ही वह राज्य है जो पुरे देश की प्रवृत्तियों, पूर्वानुमानों और परिणामों को प्रभावित करने और दिशा देनें की भूमिका निभाता है.

देश की दृष्टि अत्यंत महत्वाकांक्षी और महत्वपूर्ण हो गए आगामी लोकसभा चुनाव 2014 की पूर्व संध्या में हो रहे इन राज्यीय चुनावों से निश्चित पुरे देश के राजनैतिक वातावरण का पता चलेगा. पिछले साढ़े चार वर्ष से चल रही यु पी ए दो की मनमोहन सरकार ने जिस प्रकार देश भर में आर्थिक भ्रष्टाचार से लदी फदी सरकार का नेतृत्व किया और एक बेहद गौरव विहीन व आत्मा विहीन शासन भारत वर्ष को दिया उसके बाद एक गौरवशाली और संज्ञा, प्रज्ञा और विज्ञा संपुष्ट सरकार की अधीरता भारत के जन जन में भर आई है. पिछले दशक में विदेश नीति के क्षेत्र में पाकिस्तान, चीन, अमेरिका और श्रीलंका सहित समस्त देशों में यह मनमोहन सरकार भारत के वैश्विक गौरव को चोटिल करती ही नजर आई है. चीन के मामले में हद ही हो गई जब चीन के शीर्षस्थ नेतृत्व के साथ पंद्रह बार से अधिक चर्चाओं के दौर में बैठनें का गौरव प्राप्त कर चुकनें वाले मनमोहन सिंह की नाक के नीचें पिछले दशक में चीन ने भारतीय हितों और प्रतिष्ठा के साथ खिलवाड़ का कीर्तिमान स्थापित कर इन राजनयिक चर्चाओं के खोखलेपन और दिवालियेपन को उजागर किया. बैंकिंग, उद्योग, व्यवसाय, सैन्य, संस्कृति आदि प्रत्येक क्षेत्र में एतिहासिक ह्रास और विचलन के ढर्रे पर चलती इस सरकार के दस वर्षीय शासन के बाद निश्चित ही एक उब और बासी पन भारतीय मानसिकता पर हावी हो गया है जिससे निजात आनें वाले लोकसभा निर्वाचन उत्सव से ही मिलनें वाली है.

म.प्र. के विधानसभा चुनाव में यह सप्ताह भाजपा के प्रधानमन्त्री प्रत्याशी नरेंद्र मोदी के नाम लिखा जानें वाला है. पिछले पखवाड़े से चल रहा मध्यप्रदेश विधानसभा का कांग्रेस भाजपा का यह समर जिसे मुख्यमंत्री शिवराज और केन्द्रीय नेता ज्योतिरादित्य नेतृत्व दे रहे थे अपने प्रथम दौर के बाद द्वितीय और निर्णायक दौर में भाजपा की ओर से नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में प्रवेश करेगा तो कांग्रेस की ओर से किसी बड़े नेता के लम्बे चुनावी प्रवास की अभी योजना सामने आना बाकी है. लगभग डेढ़ माह पूर्व सितम्बर में जब पुरे देश भर में रैली सभा कर रहे नरेन्द्र मोदी म.प्र. आये थे तब भोपाल में साढ़े सात लाख लोगो की सभा हुई थी. इस सभा में प्रवेश की बाकायदा टिकिटें बेचीं गई थी और गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड के आधिकारिक लोग इस सभा में उपस्थित थे तब कहा गया था कि नरेंद्र मोदी की यह सभा विश्व की सबसे बड़ी चुनावी सभा का रिकार्ड स्थापित कर चुकी है. साढ़े सात लाख मध्यप्रदेश वासियों ने प्रत्यक्ष और लगभग तीन करोड़ म.प्र. वासियों ने अप्रत्यक्ष रूप से नरेंद्र मोदी की भोपाल रैली और सभा का साक्षित्व किया नरेंद्र मोदी का अभिवादन स्वागत किया था. पुरे देश में घूम रहे और राजनैतिक नवाचार का अलख जगा रहे नरेन्द्र मोदी का म.प्र. में अभूतपूर्व स्वागत हुआ था तभी लगा था कि आगामी म.प्र. विधानसभा चुनावों में नरेन्द्र मोदी निर्णायक और शंखनादी भूमिका निभायेंगे.

मालवा, विन्ध्याचल, सतपुड़ा, महाकौशल, चम्बल आदि क्षेत्रों में बसा म.प्र. एक भिन्न भिन्न जीवन शैली और भाषाओं बोलियों वाला विलक्षण प्रदेश है जो देश के ह्रदय स्थल में स्थापित होकर चन्हूओर देशव्यापी सन्देश प्रवाहित करनें में सक्षम है इस दृष्टि से इस प्रदेश के विधानसभा परिणामों का देश भर में अपना प्रभाव छोड़ना स्वाभाविक ही है. अपनें पौने दशक के मुख्य मंत्रित्व काल में शिवराज सिंह चौहान ने जहां ने लगभग प्रत्येक परिवार में अपनी योजनाओं के माध्यम से अपनी उपस्थिति दर्ज करवा दी है और अपनें नाम को एक स्वाभाविक स्थानीय और पारिवारिक नाम जैसा बनाकर बेहद नजदीकी और सहजता अर्जित कर ली है वहीँ गुजरात के मुख्यमंत्री ने इस प्रदेश की जनता से अपनें गौरवमयी वक्तृत्व, गरिमा भरी उपस्थिति और निरंतर-सतत संवाद से एक अपनापन सा स्थापित कर लिया है. गत सितम्बर की भोपाल सभा में नरेन्द्र मोदी के लिए आई साढ़े सात लाख जनता इस बात का ही परिचायक थी.

इस विधानसभा चुनाव के मतदान में नरेन्द्र मोदी की ऊर्जा का वह अंतर्प्रवाह या यूँ कहे कि अंडर करंट देखनें को मिलना स्वाभाविक भी लगता है और अवश्यम्भावी भी. अपनें बेहद व्यस्त समय और अतिमहत्वपूर्ण राष्ट्रीय मिशन के पल पल के हिसाब किताब के बीच यदि नरेन्द्र मोदी म.प्र. में लगभग बीस चुनावी सभाओं की योजना को कार्यरूप दे रहें हैं तो इसे म.प्र. से उनके लगाव के रूप में भी देखा जाना चाहिए और उनकें राष्ट्रीय मिशन में म.प्र. के महत्वपूर्ण स्थान होनें के रूप में भी.

आगामी “मिशन मोदी 2014” की राह में एक सोपान के रूप में हो रहे इस म.प्र. विधानसभा के चुनाव को जहाँ मोदी यथोचित सम्मान और महत्व देते दिख रहे हैं वहीँ कांग्रेस म.प्र. को बेहद सहजता, लापरवाही और टेक इट ग्रांटेड के रूप में ले रही है या इस चुनाव में शिवराज को वाक ओवर देने की मानसिकता में आती जा रही है. इस चुनाव में कांग्रेस के ध्वजवाहक कांग्रेस कांतिलाल भूरिया, ज्योतिरादित्य, कमलनाथ, सुरेश पचौरी, राहुल सिंह सहित दिग्विजय सिंह आदि अपना अपना प्रभाव छोड़ पानें में विफल हो रहे हैं और समूह भावना या सामूहिक निर्णय का परिचय देनें में भी. जो भी हो मध्यप्रदेश की जनता आगामी लोकसभा चुनावों की पूर्व संध्या में हो रहे इस चुनाव में राष्ट्रीय नीतियों और निर्णयों को अपने प्रकार से परिभाषित करेगी और पुरे देश के सामनें एक विशिष्ट राष्ट्रवादी, संस्कृति चिन्तक, वैश्विक दृष्टिकोण के साथ साथ स्थानीयता के दायित्व बोध से भरा हुआ आचरण प्रस्तुत करेगी. तो आइये आशा करें कि म.प्र. की जनता एक दायित्व बोध से परिपूर्ण और एक भारी किन्तु विचारवान मतदान की ओर अग्रसर होगी.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply