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ऐ भारतवर्ष के भद्र पुरुषों सुन लो
तुम्हारे कारण देश का सम्मान डोलता है
देख के खतरे में अपनी भारत माँ को
आज इस देश का नौजवान बोलता है (१)
तुम याद करो उन वीरों को
गोली से भी नहीं जो डरते है
जो बर्फ में पल पल जलते है
देश के लिये जो मरते है
सुन के चर्चे तुम्हारे फरेब के
आज हमारा भी खून खोलता है
देख के मैली आँचल भारत माँ का
आज देश का हर जवान बोलता है (२)
सारी दुनियाँ की थाली सजाने को
हम भूख में भी खिलखिलाते है
हर पल तिल-तिल कर मरते है
पर तुमको रोटी खिलाते है
रहे हरी ये धरती माता,बस सोचकर ये
हम अपनी लाश बिछाते है
सेंक कर रोटियां चिता पे हमारी
क्या तू अपने रूह को टटोलता है
देख के अपनी बेबस हालत
आज देश का हर किसान बोलता है (३)
बातें धर्मों की क्यों तुम करते हो
जब सिर्फ पैसो पे ही मरते हो
हरदम मजहब की राजनीति करते हो
क्या खुदा से जरा भी तुम डरते हो
बस तुम जैसों के ही कारण
आज हिंदुस्तान का विश्वास डोलता है
खा कर खौफ कुछ खुदा का कुछ काम करो
यहीं आज देश का हर हिन्दू-मुसलमान बोलता है (४)
कहना छोरो अब करना सीखो
इज्जत के लिये तुम लरना सीखो
ग़र बचना है बेबस की लाठी से
उसकी बेबसी से तुम डरना सीखो
सब आओ साथ मिलाओ हाथ
अब तो मिल कर के बढ़ना सीखो
भद्र तुम,सहिष्णु तुम,ताकतवर भी हो तुम
भारत के लिये तुम लड़ना सीखो
है भारत माँ के बेटे हम सब
फिर क्यों कोई इसके खिलाफ बोलता है
आओ मिल कर बढे प्रगति के पथ पर
बस इतना ही हर दिल-ऐ-हिन्दुस्तान बोलता है (५)
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