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तस्वीर जो देख ली तेरी,
हो गयी पूरी मन्नत मेरी,
मरीज़ हो गया हु तेरे इश्क़ का,
अब इलाज में न कर देरी (१)
हाँ कह दे, समझ हालत मेरे दिल की,
जब से देखीं है तेरी आंखे क़ातिल सी,
अँधेरा छाया है इनपे कुछ ऐसा,
रौशनी भाती नहीं इन्हे किसी महफ़िल की (२)
मै नहीं कहता, आँखों में तेरी तस्वीर मेरी है,
लेकिन क्या तन्हा रहना तदबीर तेरी है,
एक हमसफ़र चाहिए इन रास्तो में हमे,
क्या जुडी तक़दीर तेरी-मेरी है (३)
तुम्हारी इन अदाओ के क्या कहने,
सपनो में भी अब तुम ही लगे हो रहने,
कुछ बेवफा लोगो की खातिर,
क्यों तन्हाई को लगी हो सहने (४)
तेरे चेहरे में बसी वो सच्चाई है,
की नामुमकिन तेरे मोहब्बत में बेवफाई है,
आपके दीदार ने ही मदहोश किया हमे ऐसे,
ख्वाबो में संग तेरे एक दुनिया भी सजाई है (५)
अब इतनी सी बस गुज़ारिश है तुझसे,
तन्हाई बर्दाश्त नहीं होती अब मुझसे,
जरा ख़ामोशी का राज़ तो बतला दे अपनी,
दे दे सजा ग़र कोई गुस्ताखी हुई है मुझसे (६)
हो चूका हूँ अब तेरे इश्क़ में बेक़रार,
लो कहता हूँ, है बस तुमसे प्यार,
कर दिया बयां मैंने अपना हाल-ऐ-दिल,
बस अब तेरी रज़ामंदी का है इंतज़ार (७)
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