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नशा

baatein aur kavitaayein
baatein aur kavitaayein
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आज यारों की यारी ने महफ़िल जमाई थी
कोई बड़ी ख़ुशी उनके हाथ आयी थी
नशे में चूर बैठे थे सभी
नशा कुछ और था उनका, और हम तो आये थे अभी

कहा उन्होंने दो चार जाम तो पियो
यार मेरे ज़िन्दगी को खुल के जियो
कहा मैंने जिसे तुम कहते हो ज़िन्दगी जीना
वो तो है ज़हर और अपना खून पीना
कहा उन्होंने ये भुला देगी सारे ग़म
मैंने कहा ज़िन्दगी को कर देगी बेदम

उसने कहा साथ बैठो निभाओ यारी
मैंने कहा ये सौदा पर न जाए भारी
कहते हो इससे अगर तुम दोस्ती निभाना
तो लो ठुकरा दिया हमने याराना
कहा हमने पहले होश सम्भालो अपना
फिर दिखाना हमें कोई सपना

कहा उसने ये मर्द की शान है
हमने कहा इससे पीना वाला मर्द हैवान है
तुम जैसो से अगर हम यारी निभाते
आज लोग हमे भी गटर में पाते
इतना कहा और निकले हम वहा से
हो रही थी इंसानियत शर्मसार जहा पे

ये किस्सा मगर, सिर्फ उनका ही नहीं था
इस मय की आगोश में आधा जहाँ था
तो आ जाओ यारों कसम हम ये खाये
आज से हर किसी को सही रास्ता दिखाये
की हम पे मेहरबाँ होगा खुदा भी
ग़र उसकी बनायी इंसानियत को अपनाये

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