‘सामाजिक सुरक्षा’ विषय पर मेरी बात
अभी पिछले दिनों भारत में ‘सामाजिक सुरक्षा’ के विषय पर एक प्रोग्राम रेडियो तेहरान पर ‘ओन एयर’ हुआ था, जिसमें ब्लोगर बिरादरी से मेरे अलावा
श्री केवल राम और
डॉ पवन मिश्रा ने अपनी राय रखी थी।
इस कार्यक्रम में मैंने कहा कि हमारे देश में सामाजिक सुरक्षा को लेकर जागरूकता नहीं है, साथ ही साथ कानून का डर भी नहीं है। मेरे हिसाब से सामाजिक सुरक्षा दो ही तरीके से आ सकती है, या तो हमारी परवरिश, हमारी शिक्षा ऐसी रही हो कि हम सामाजिक मूल्यों की कद्र करते हो या फिर कानून इतने सख्त हो कि अपराध के नतीजों से डर पैदा हो। मेरा यह मानना है कि जब तक हम स्वयं भ्रष्टाचार से पीछा नहीं छूटेंगे, तब यह हमें ज़हरीले सांप की तरह डसता ही रहेगा। हम चाहते हैं कि दूसरे ठीक हो जाएँ और हम वैसे ही रहें। भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही मुहीम के समर्थन पर सारे लोग सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर लिख रहे थे, लेकिन हम चाहते हैं कि संघर्ष, भूख हड़ताल जैसे कार्य दूसरे लोग करें और हम केवल दो शब्द लिख कर इतिश्री पा लें। इससे कुछ होने वाला नहीं है, बल्कि बदलाव अपने अन्दर को बदलने के प्रयास से ही आएगा।
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