Menu
blogid : 2486 postid : 32

बाबा रामदेव प्रकरण: क्या कांग्रेस ने अपनी जड़े खोद डाली?

प्रेम रस - जागरण जंकशन
प्रेम रस - जागरण जंकशन
  • 13 Posts
  • 53 Comments
मुझे पहले ही लग रहा था कि बाबा रामदेव और सरकार के बीच समझौता हो चुका है, लेकिन जनता नाराज़ ना हो जाए इसलिए, एक-दो दिन तक अनशन को चलाया जाएगा। मैंने ऐसी ही एक टिप्पणी 4 जून की सुबह प्रवीण जी एक पोस्ट पर भी की थी, शाम होते-होते मेरा शक सही भी निकल गया। हालाँकि सरकार और बाबा के सूत्रों ने यही बताया था कि वार्ता अभी पूरी तरह सफल नहीं हुई है, बातचीत आगे भी की जाएगी। जबकि बाबा रामदेव एक दिन पहले ही सरकार को अगले दिन दोपहर तक अनशन समाप्त होने का आश्वासन दे चुके थे, लिखित में आश्वासन? क्या यह कुछ अजीब नहीं लगता? और अगर आश्वासन दिया था तो फिर अनशन समाप्त क्यों नहीं हुआ?
अचम्भे की पराकाष्टा तो रात को हुई, जब ब्रेकिंग न्यूज़ देखी कि ज़बरदस्ती अनशन समाप्त कर दिया गया। मैंने उसी समय सोचा था कि आखिर कांग्रेस सरकार बाबा रामदेव को ज़बरदस्ती हीरो क्यों बनाना चाहती है? जबकि उसके पास पूरा मौका था बाबा के लिखे ख़त को भुनाने का। वैसे भी चिट्ठी प्रकरण के बाद मीडिया ने इस अनशन के औचित्य पर जोर-शोर से सवाल उठाने शुरू कर दिए थे। क्या आपको लगता है कि सरकार ऐसे में इतना बेवकूफी भरा और आत्मघाती कदम उठा सकती है? जबकि सरकार कांग्रेस की हो? उस कांग्रेस की जिसमें एक से बढ़कर एक कुटिल राजनेता  भरे पड़े हैं! कहीं ऐसा तो नहीं नहीं कि कांग्रेस राज ठाकरे की ही तरह बाबा को भी हीरो बना कर अपने हित साधने के ख्वाब देख रही है और इसलिए जानबूझकर ऐसा कदम उठाया गया है।
अगर पुरे प्रकरण पर नज़र डालें तो साफ़ पता चलता है कि सरकार ने अपने बचाव के सारे रास्ते शुरू से ही अपनाये हुए थे। कुछ दिनों के बाद वह यह बात जोर-शोर से उठाई जाएगी कि हमने तो पहले ही बाबा की सारी मांगे मान ली थी, सरकार स्वयं ही भ्रष्टाचार के खिलाफ कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। सरकार ने इस कदम से अपने वोट बैंक को मज़बूत रखने और बाबा की राजनैतिक जड़ों को मज़बूत करने का काम किया है। ज़रा सोचिए कि अगर बाबा राजनीति में आते हैं तो इसका सबसे ज्यादा फायदा किस पार्टी को होगा? बाबा रामदेव के सबसे ज्यादा समर्थक भारतीय जनता पार्टी के वोटर हैं और कांग्रेस की नज़र भी इन्ही वोटों पर होगी। अगर कांग्रेस पार्टी की राजनीति पर नज़र डालें तो पता चलता है कि यह पहले भी इस तरह की कूटनीति को अंजाम देती रही है।

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh