मैं-- मालिन मन-बगिया की
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मैं दिखती हूँ माँ जैसी
सब कहते हैं
सब कहते हैं सच कहते हैं
पर हूँ मैं
अपने पापा की बेटी
हाँ अपने पापा की बेटी !
माँ ने भले जनम दिया
पर देखा दुनिया को मैंने
पापा की ही आँखों से
पापा ने कहा भयावह जंगल-सी
है यह दुनिया
आदमी की खोल में छिपे
पग-पग पर मिलेंगे तुम्हे भेड़िये यहाँ
इन बातों को समझने के लिए
तब मैं बहुत छोटी थी
पर पापा ने कहा था इसलिए
कमर पर बुआ की ओढ़नी कसकर लपेटी
औ’ भेड़ियों से दो-दो हाथ करने को
मैंने अपनी कमर कस ली !
अनगिनत सितारों के बीच
हर रोज़ एक ही दिशा में चमकता
रात्रि के गहन अन्धकार में
दिशा-ज्ञान करा
‘पथिकों’ का पथ प्रदर्शित करता ध्रुव तारा
पहली बार मुझे
छत पर ले जा दिखाने वाले
वह पापा ही थे !!
–‘दीक्षा’
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