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राहुल का स्वप्न खंडित हिंदुस्तान

priyeshupadhyay94
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पिछले कुछ समय से राहुल गाँधी देश में यहां वहां घूम घूम कर मेड इन मंदसौर, मेड इन भोपाल की बातें उनके भाषणों में कर रहे है, जबकि देश में कही भी किसी भी स्थान पर, किसी भी राज्य में किसी भी वस्तु का अगर निर्माण होता है, उत्पादन होता है, तो उस पर उस राज्य या स्थान का नहीं अपितु देश के नाम का लेबल चस्पा होता है, मेड इन भारत या मेड इन इंडिया या कहे कि भारत में निर्मित, ना कि राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के अनुसार किसी राज्य अथवा शहर में निर्मित . ऐसा भी नहीं है कि मेड इन इंडिया कि परिपाटी बीजेपी जैसे उनके विरोधी दल ने शुरू की हो,जो वे इसे बदलने पर आमादा हुए जा रहे है, आखिर ये तो प्रारम्भ से ही चली आ रही है ना,और लगभग सभी देशो में यही व्यवस्था है.

दरअसल कहने को तो यह बहुत ही छोटी सी बात है, लेकिन अगर इस पर विचार किया जाए तो राहुल गांधी की मानसिकता पर या कहें नियत पर शंका होती है. यह जो व्यवस्था है कि देश में किसी भी स्थान पर निर्मित किसी भी वस्तु पर स्थान या राज्य विशेष का नाम ना हो कर राष्ट्र का नाम होता है, वह दरअसल देश की अखंडता का सूचक होता है,किंतु राहुल गांधी शायद इस देश को अखंड या एक नहीं मानते या यह कहे की अखंड देखना नहीं चाहते या कही उनकी मंशा खंडित हिंदुस्तान की तो नहीं?
हम सभी राहुल को उनके राजनीतिक हित के अनुसार कभी मुस्लिम, कभी ईसाई तो कभी जनेऊधारी व शिवभक्त हिन्दू बनते हुए भी देख चुके है, लेकिन खुद के राजनीतिक स्वार्थो की पूर्ति हेतु इस राष्ट्र को स्थान के अनुसार खंडित करने की उनकी प्रवृत्ति को बिलकुल भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

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