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सिर्फ पाना ही प्यार नहीं।
वर्ष में एक बार ही सही १४ फरवरी को प्रेम दिवस के रूप में मनाया जाता है। पश्चिमी देशों का दिया हुआ यह त्योहार भारत में भी दो जुड़े हुए दिल हर्सोल्लास से मनाते हैं। प्यार खरीदा या बेचा नहीं जा सकता इसे सिर्फ महसूस किया जा सकता है। आज के दौर में प्यार के कुछ मायने जरूर बदले हैं परंतु प्यार हमेशा की तरह सभी के दिलों में बसा हुआ है। प्यार सिर्फ पाने का नाम नहीं है दिलों को समझने वाला भाव ही प्यार है ।वैसे तो इस भौतिकवादी दुनिया में सच्चा प्यार मुश्किल से मिलता है लेकिन जिसे नसीबन सच्चा प्रेम मिल जाता है वह किसी भाग्यशाली से कम नहीं।प्यार तमाम तरह की कुरीतियों से उठकर एक अलग दुनिया में जाने का नाम है जहां न जाति है न ही धर्म न ही किसी और प्रकार की बंदिशें। एक समय था जब हीर रांझा , रोमियो जूलिएट आदि की प्रेम कहानियां की भांति ही प्रेम की परिभाषा गढ़ी जाती थी लेकिन आज के युग में कुछ परिवर्तन हुआ है फिल्मों से लेकर आम जीवन में भी प्रेम की परिभाषा बदलती दिखाई दे रही है।अपने प्यार को हमसफर बनाने के लिए जहाँ लोग कुछ भी कर गुजरने को तैयार हैं ऐसे लोगों को प्रेम की गहराई में जा के अपने प्यार को समझने की दरकार है।कुछ लोग प्यार को संबध में परिवर्तित करना चाहते हैं और अगर इसमें नाकामयाब हो गये तो दिलों से मानो प्यार गायब हो जाता है। रिश्ते बने या ना बने प्यार की ज्योति हमेशा दिल में जलती रहनी चाहिए।दुसरी बड़ी बात एकतरफा प्यार की है जिसने अपने कारनामों से प्यार शब्द को ही जख्मी कर दिया है ।ऐसा लगता है जैसे जमाने में प्यार काअकाल पड़ गया है।सभी भौतिक सुखों से परे प्यार में डुबकर इसे जानने की आवश्यकता है। प्यार का ऐसा ह्स्र नहीं होना चाहिये कि लोगों को प्रेम शब्द से घृणा होने लगे। प्यार एक रहस्य है जिसे समझ पाना मुश्किल है ।प्यार त्याग है , प्यार सुख है,प्यार एहसास है जिसे सिर्फ दिल से महसूस किया जा सकता है। आजकल टीवी में,फिल्मों में जिस प्रकार से प्यार को दर्शाया जाता रहा है कुछ लोग दिगभ्रमित होकर नकल करने की कोशिश करते हैं लेकिन प्यार दिमाग से नहीं किया जा सकता ।सभी लोगों के दिलों में प्यार की ख्वाहिश है इसे उजागर कर कुछ पल के लिये प्यार को महसूस किया जा सकता है।
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