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भक्ति की भावना से सरस्वती पूजा

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भक्ति की भावना से हो सरस्वती पूजा।
सरस्वती पूजा विधार्थियों के लिए महत्वपूर्ण त्योहारों में एक है । माघ माह के शुक्ल पक्ष में पंचमी को अधिष्ठात्री देवी की पूजा अध्यापक,विद्यार्थी ,कला एवं साहित्य से जुड़े लोग शिक्षण संस्थान या अन्य जगहों पर प्रतिमा स्थापित कर करते हैं। वसंत ऋतु के आगमन से खेतों में सरसों के पीले फूल , गेहूँ की बालियाँ ,आम के पेड़ पर मंजर लगने लगते हैं तभी आता है वसंत पंचमी का पावन त्योहार ।सभी मां सरस्वती से अपने उज्ज्वल भविष्य और शिक्षा के क्षेत्र में उन्नति के लिए प्रार्थना करते हैं । छोटे छोटे पंडाल से लेकर भव्य पंडाल में भी सभी जगह मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित कर पूजा अर्चना की जाती है ।मां अधिष्ठात्री की पूजा बुद्धि,विवेक,ऋान प्राप्त करने के लिए की जाती है । शाष्त्रों के अनुसार मां सरस्वती की कृपा से महामूर्ख भी महाॠानि बन सकता है। कुछ विद्यार्थियों द्वारा पूजा को भी मौज मस्ती का जरिया बना दिया गया है ।पूजा पंडालों में कानफाड़ू आवाज में डीजे बजाने का चलन बढ़ गया है।भक्ति की भावना के बदले फूहड़ गीतों का बजना दुखदायी है ।पूजा पंडालों में बजने वाले ऐसे गानों से आस पास रहने वाले लोगों को काफी मुश्किल का सामना करना पड़ता है।पूजा के नाम पर लोगों से चंदा लेना, सड़क में गाड़ियों को रोककर चंदा देने के लिए मजबूर करना और चंदा के रूप में लिए गए पैसे से मौज मस्ती करना एक अलग ही भावना प्रकट करती है ।सड़क में वाहनों को रोककर चंदा लेने की वजह से सफर करने वाले लोगों को परेशानी होती है।जगह जगह कुछ ही दूरी पर अलग अलग चंदा देना सफर करने वाले लोगों के लिए मुश्किलें पेदा करता है। आज कल पूजा में भक्ति कम मस्ती ज्यादा दिखाई दे रहा है क्योंकि यह पूजा सीधे रूप से विद्यार्थियों और युवाओं से संबधित है इसलिए विसर्जन में हुल्लड़बाजी ,शराब का सेवन आम बात हो गई है । कइ बार विसर्जन में नशे की वजह से दो गुटों में लड़ाई झगड़ा ,मारपीट जैसी घटनाएँ घटित हो चुकी हैं । आस्था के नाम पर होने वाली पूजा में इस तरह की घटना दुखदायी है । विद्यार्थियों को अपने नैतिकता को जगाने की जरूरत है ताकि आस्था का यह माहोल खराब नहीं हो ।कुछ लोगों द्वारा ऐसे कारनामों से भक्ति की भावना रखने वाले लोगों में पूजा के प्रति श्रद्धा घटती जा रही है। पूजा भक्ति की भावना से की जाने की आवश्यकता है और अपने भीतर के अंहकार ,इर्ष्या ,द्वेष को त्याग कर अपने अंदर ऋान को जगाने की जरूरत है।

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