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होली को ना बनाये हुड़दंगी का त्योहार
फाल्गुन माह के पूर्णिमा के दिन रंग का त्योहार होली हर्षोल्लास से मनाया जाता है।यह त्योहार हमें आपसी भाईचारे का संदेश देता है।होली का त्योहार बच्चे,बूढ़े,नौजवान सभी उम्र के लोग मनाते हैं।इस त्योहार में तरह तरह के पकवान,ठडंई,मिठाई रंग बिरंगे चेहरे पर एक अलग ही खुशी लाती है। होली के लिए कई तरह के रंग बाज़ार में उपलब्ध है।बच्चों के लिए मुखौटा, टोपी आदि से बाजार भरा हुआ है।कई जगह पानी बचाने के लिए हर्बल होली खेली जाती है। होली के दिन रंग गुलाल को धोने के लिए बहुत अधिक पानी खर्च होता है इसलिए पानी बचाने के लिए आजकल हर्बल होली खेली जा रही है।बाजार में मिलने वाले रंगों में कई प्रकार के केमिकल मिले होते हैं जिससे शरीर के त्वचा को नुकसान होता है इस वजह से भी हर्बल होली मनाया जाने लगा है । इनसब खूबियों के बावजूद होली त्योहार की कुछ खामियां भी हैं । होली में हुड़दंगी भी खूब जमकर होती है।इस दिन नशा करने के आदि लोग नशा करने के बाद कई तरह के गलत कार्य करने से बाज नहीं आते ।कई बार समाजिक सौहार्द बिगड़ने जैसा माहौल तैयार हो जाता है।इस त्योहार में समाजिक व्यवस्था कायम रहे इसके लिए पुलिस को काफी जदोहद करनी पड़ती है। कुछ लोग होली के त्योहार का फायदा उठाकर लड़कियों के साथ छेड़खानी करने लगते हैं।रंग गुलाल लगाने के बहाने लड़कियों को छूने का होली के अलावा कोई अन्य त्योहार नहीं मिलता ।देवर भाभी,जीजा साली जैसे रिशतों में भी इस दिन जमकर छेड़छाड़ होती है।कुछ लोग अश्लीलता फेलाने से भी पिछे नहीं रहते।दुअर्थू अश्लील गानों पर नाचना ,लोगों के कपड़े फाड़ना ,कीचड़ या नाली मे डुबाना जैसे हरकतों से महिलाओं और लड़कियों को काफी दिक्कत होती है। होली में हुड़दंगी के बढ़ते प्रचलन से कुछ लोग होली के त्योहार से खुद को दूर रखने में ही भलाई समझते हैं। होली त्योहार के दिन छेड़छाड़,मारपीट की घटना आम होते जा रही है जिसपर लगाम जरूरी है।होली के त्योहार में हुड़दंगी करनेवाले लोगों को चिन्हित कर समाजिक और कानूनी रूप से सजा देने से ही रंगों का यह त्योहार सभी लोग शांति से मना पायेंगे।
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