Menu
blogid : 4444 postid : 925588

चाँद के दिए जलते है|

Pradeep
Pradeep
  • 59 Posts
  • 118 Comments

कभी किसी रोज,
ऐसा भी होगा,
ये यकीं आता है|
कि इक दूजे का हाथ थामे,
हम बहुत दूर चलते है|
रात की सुनसान स्याही मे,
चाँद के दिए जलते है|
.
कि मेरी बाहों के घेरे में,
तुम काँधे पर सर रखती हो,
ओर मैं जन्नत मे जीने का,
मासूम, मदहोश गुमान करता हूँ|
.
की मेरी नज़र मे अक्सर ही,
ये मासूम से ख्वाब पलते है |
रात की सुनसान स्याही मे,
चाँद के दिए जलते है|
.
कि मैं उस यकीं मे जीता हूँ,
जहा तुम मेरे पास हो,
तल्ख़ हक़ीकत से परे नहीं मगर,
इक उम्मीद हो, इक आस हो|
.
कि मैने देखा है अक्सर,
एहसास रंग बदलते है|
रात की सुनसान स्याही मे,
चाँद के दिए जलते है|

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published.

    CAPTCHA
    Refresh