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जब कॉलेज में थे नौकरी का ख्वाब देखते थे..

Pradeep
Pradeep
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 मुफलिसी में अमीरी का ख्वाब देखते थे, जब कॉलेज में थे नौकरी का ख्वाब देखते थे| जब तक दिया जलता था,हम आँखें जलाते, हर इम्तिहान के बाद डिग्री का ख्वाब देखते थे| जहा से पैसा आया मेरी कॉलेज की फीस का, घरवाले अक्सर उस झोपड़ी का ख्वाब देखते थे| अब जबकि दो जून की रोटी भी मुनासिब नहीं मुझको, जब कॉलेज में थे,तो कैसे-कैसे ख्वाब देखते थे| 

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