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झिझक..

Pradeep
Pradeep
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कल थोड़ी हिम्मत जुटाई थी, तुमसे एक बात कहने के लिए,
तुम मगर मसरूफ थी, काम तुमको भी बहुत था|
मैं कोशिश करता भी मगर,
तुम सफर में थी, गाड़ी में शोर बहुत था|
अभी दिल में छुपाकर रख ली वो बात, वक़्त मिला तो कहूँगा,
तब तलक जैसे चुप रहा हूँ, कुछ और दिन फिर चुप रहूँगा|

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