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मानव संसाधन विकास मंत्री महोदया को उच्च शिक्षा हेतु कुछ सुझाव
1 नए विश्वविद्यालय महानगरों की जगह ग्रामीण अथवा असेवित स्थानों पर ही खोले जाएं।
2 देश भर में खाली पड़े शिक्षकों के पदों को एक साल के भीतर भरना सुनिश्चित किया जाए।
3 शिक्षकों को उनकी विशेषज्ञता के अनुरूप अपने विश्वविद्यालय से दूसरे विश्वविद्यालयों में अध्यापन व्याख्यान हेतु भेजा जाए।
4 महाविद्यालयों के शिक्षकों को भी विश्वविद्यालयों के शिक्षकों के समतुल्य समझा जाए और उन्हें भी उनकी योग्यता के अनुरूप कुलपति तथा अन्य महत्त्वपूर्ण पदों पर नियुक्त किया जाए एवं विभिन्न अकादमिक तथा प्रशासनिक कार्यों हेतु उन्हें भी आमंत्रित किया जाए।
5 सम्पूर्ण राष्ट्र के शिक्षकों की सेवा शर्तें एवं प्राप्त सुविधाओं में समरूपता हो।
6 अकादमिक दृष्टि से श्रेष्ट कार्य करने वाले शिक्षकों के लिए प्रोत्साहन की व्यवस्था हो।
7 सम्पूर्ण देश के प्राध्यापकों हेतु आई ए एस की तर्ज पर इंडियन प्रोफ़ेसर सर्विस कैडर बनाया जाए। इनका अखिल भारतीय स्थानांतरण हो तथा विश्वविद्यालयों से महाविद्यालयों एवं महाविद्यालयों से विश्वविद्यालयों में पोर्टेबिलिटी हो।
8 लगातार पांच वर्षों तक श्रेष्ठ परिणाम देने वाले महाविद्यालयों को विश्वविद्यालय के रूप में उच्चीकृत किया जाए।
9 शिक्षक की गरिमा को धूल धूसरित करने वाले स्ववित्त पोषित विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालयों को सरकार अधिग्रहण करे तथा वहां के सुयोग्य प्राध्यापकों को नियमित किया जाए ।
10 मानदेय शिक्षक, संविदा शिक्षक, अतिथि प्राध्यापक, स्ववित्त शिक्षक जैसे अपमानजनक पद ख़त्म करके इन पदों पर कार्यरत सभी सुयोग्य शिक्षक नियमित किए जाएं।
यदि मंत्री महोदया बजट का छह प्रतिशत शिक्षा के लिए आवंटित करा पाने में सफल रहती हैं तो इस दस सूत्री उच्च शिक्षा उन्नयन कार्यक्रम की सफलता में किसी को कोई शक नहीं होगा और तब आपकी शैक्षणिक योग्यता पर सवाल उठाने वालों की ज़ुबानों पर भी ताले लग जाएंगे।
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