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सम्बन्ध बनाना, सीमा पार से घुसपैठ में कमी, लड़ाकू विमानों की खरीद तथा सड़क एवम् संचार व्यवस्था को मज़बूत करना, जन धन योजना, पेंशन योजनाएं, स्वच्छ भारत अभियान, मेक इन इण्डिया, स्किल इण्डिया मिशन, 29 कोयला खदानों की सफलतापूर्वक नीलामी से लगभग 3 लाख करोड़ रूपए सरकारी खजाने में जमा कराना, भ्रष्टाचार पर लगाम लगाना और दुनिया में देश की इमेज बढ़ाना रही हैं लेकिन चीन द्वारा मोदी जी के दौरे के समय भारत के नक्शे से कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश को गायब दिखाना, मंत्रियों सांसदों के गैर ज़रूरी भड़काऊ बयान देना, काले धन पर सुस्त रफ़्तार, गंगा सफाई मिशन और बुलेट ट्रेन योजना की ढिलाई, दालों के दामों में आग लगना, पेट्रोलियम पदार्थों की महंगाई आदि ऐसे कदम हैं जिन पर सरकार को तेज़ी दिखानी होगी। हालांकि एक बात समझ से परे है कि तेल के अंतर्राष्ट्रीय मूल्यों में ख़ास बढ़ोत्तरी न होने के बावजूद पेट्रोलियम पदार्थों के दाम क्यों बढ़ाए जा रहे हैं और सरकारी खजाने में पैसे की कमी न होने पर भी वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सेवा कर को 12.36 से लगभग 2 प्रतिशत बढ़ाकर महंगाई की आग में घी क्यों छिड़का? शायद इसीलिए आज के भाषण में प्रधानमंत्री ने अच्छे दिन आ गए हैं कहने की जगह बुरे दिन चले गए हैं यह कहना बेहतर समझा।
उम्मीद है कि अगले साल में सरकार इन मोर्चों पर भी ध्यान देगी। हालांकि यह सच है कि एक साल में इस सरकार ने कई बेहतरीन फैसले लेने की दृढ़ता दिखाई है।
बहरहाल सरकार की पहली वर्षगांठ की बधाई।
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