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न शौर्य न कलंक न अस्मिता का दिवस है 6 दिसंबर

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न शौर्य, न कलंक न अस्मिता दिवस
लो 6 दिसंबर फिर आ गया। फिर वही नारेबाजी और धार्मिक उन्माद तथा जातीय अस्मिता का फूहड़ प्रदर्शन होगा। विश्व हिन्दू पार्षद के लिए यह शौर्य दिवस है, बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के लिए यह कलंक दिवस है तो हमारे दलित मित्रों के लिए आज का दिन अस्मिता दिवस है। लेकिन मुझे लगता है आज का दिन इन तीनों के लिए नहीं है। आज के दिन को शौर्य या कलंक दिवस या फिर अस्मिता दिवस के तौर पर मनाकर हम इस दिन के प्रति तथा इतिहास के प्रति अन्याय ही करेंगे।
6 दिसंबर 1992 एक घटनाप्रधान दिन था। इस दिन जो कुछ भी हुआ था, वह भारत की सर्वधर्म समभाव की छवि पर धब्बा था। लेकिन इस दिन ने भारत के लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत किया था क्योंकि इस घटना की एक स्वर से निंदा करते हुए समूचे भारतवर्ष ने एकजुटता दिखाई थी। परन्तु इस घटना के 22 बरस बीतने के बाद भी शौर्य या कलंक दिवस के रूप में उन्माद को पुनर्जीवित करने का चंद मुट्ठी भर लोगों द्वारा किया जा रहा प्रयास भारत की आधुनिक एवं प्रगतिशील छवि को मलिन ही करेगा। दलितों द्वारा डॉ अम्बेडकर के परिनिर्वाण दिवस को अस्मिता दिवस के तौर पर मनाए जाने को भी मैं सही नहीं मानता क्योंकि ऐसा करके दलित बन्धु सवर्णों के डॉ अम्बेडकर के प्रति सम्मान की तो उपेक्षा करते ही हैं, डॉ आंबेडकर द्वारा सभी वर्गों के प्रति किए गए उनके महत्त्वपूर्ण कार्यों की भी उपेक्षा कर देते हैं, जिससे वे दुर्भाग्यवश मात्र ‘दलितों के मसीहा’ बनकर रह जाते हैं। डॉ अंबेडकर द्वारा संविधान के प्रारूप का निर्माण, श्रमिकों के अधिकारों हेतु संघर्ष तथा कार्यशील महिलाओं को प्रसूति अवकाश का अधिकार सिर्फ दलितों के लिए नहीं था अपितु सभी भारतीयों के लिए था। कुछ नेताओं की दुरभिसंधि के कारण डॉ अम्बेडकर को दलितों के नेता बना दिए जाने का एक दुष्परिणाम यह भी हुआ है कि सवर्ण जनता को उनके कई महत्त्वपूर्ण कार्यों की जानकारी ही नहीं होती और वह यह सोचकर उनकी जयंती के प्रति उदासीन रहती है कि वे तो दलितों के नेता थे, हमें उनकी जयंती से क्या मतलब। यह सोच एक विद्वान् विधिवेत्ता, कुशल राजनीतिज्ञ एवं मानवतावादी महापुरुष को एक चौखटे में सीमित कर देती है जो इस महामानव के प्रति अन्याय है। तो क्यों न हम इस दिन को सिर्फ एक महापुरुष के पुण्य दिवस के रूप में याद करें और अन्य बातें परे रखते हुए देश की उन्नति एवं विकास में अपना योगदान दें।

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