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निराला जयंती की हार्दिक बधाई

http://puneetbisaria.wordpress.com/
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यूं तो निराला जी का जन्मदिन बसंत पंचमी को मनाने की परंपरा है किन्तु सन 19226 में रामनरेश त्रिपाठी ने कविता कौमुदी के लिए उनकी उम्र पूछी थी तो निराला जी ने माघ शुक्ल 11 सम्वत 1953 (1896) अपनी जन्म तिथि लिखकर भेजी। यह विवरण निराला जी ने स्वयं लिखकर दिया था। इस हिसाब से उनका जन्मदिन 21 फ़रवरी सन 1896 यानी आज के दिन पड़ता है। इससे पहले 11 जनवरी, 1921 ई. को पं. महावीर प्रसाद को लिखे अपने पत्र में निराला जी ने अपनी उम्र 22 वर्ष बताई थी । निराला जी आधुनिजक काल के सर्वाधिक प्राणवंत कवी थे। मेरा स्वयं का मत है कि राम की शक्ति पूजा कविता कि इन पंक्तियों से बेहतर प्रणय गीत हिंदी मी आज तक नहीं लिखा गया –
नयनों का नयनों से गोपन, प्रिय सम्भाषण
पलकों का नव पलकों पर प्रथमोत्थान पतन।
कांपते हुए किसलय, झरते पराग समुदय
गाते खग नव जीवन परिचय, तरु मलय वलय।
वास्तव में निराला अपने युग से आगे के कवि थे। जिस समय हिंदी काव्य आचार्य द्विवेदी जी की अनुशासनबद्धता में आबद्ध था, वे जूही की कली लेकर आये। जिस समय छायावाद का सूर्य प्रखरता से चमक रहा था, वे शोषितों की सुध ले रहे थे, जिस समय प्रगतिवाद के नारे लग रहे थे, वे नयी कविता की आधारशिला रख रहे थे, नारेबाजी से दूर चुपचाप। वे हिंदी के पहले कवि हैं जिन्होंनेअपनी दिवंगता पुत्री के श्रृंगार वर्णन का साहस किया जिसे वाकई एक मुश्किल भावनात्मक कदम कहा जाना चाहिए। सरोज स्मृति की इन पंक्तियों को लिखकर उन्होंने अंग्रेजी की एलिजी परंपरा की हिंदी में परिपक्वतम शुरूआत की।

धीरे-धीरे फिर बढा़ चरण,
बाल्य की केलियों का प्रांगण
कर पार, कुंज-तारुण्य सुघर
आईं, लावण्य-भार थर-थर
काँपा कोमलता पर सस्वर
ज्यौं मालकौस नव वीणा पर,
नैश स्वप्न ज्यों तू मंद मंद
फूटी उषा जागरण छंद
काँपी भर निज आलोक-भार,
काँपा वन, काँपा दिक् प्रसार।
परिचय-परिचय पर खिला सकल —
नभ, पृथ्वी, द्रुम, कलि, किसलय दल
क्या दृष्टि। अतल की सिक्त-धार
ज्यों भोगावती उठी अपार,
उमड़ता उर्ध्व को कल सलील
जल टलमल करता नील नील,
पर बँधा देह के दिव्य बाँध;
छलकता दृगों से साध साध।
फूटा कैसा प्रिय कंठ-स्वर
माँ की मधुरिमा व्यंजना भर
हर पिता कंठ की दृप्त-धार
उत्कलित रागिनी की बहार!
बन जन्मसिद्ध गायिका, तन्वि,
मेरे स्वर की रागिनी वह्लि
साकार हुई दृष्टि में सुघर,
समझा मैं क्या संस्कार प्रखर।
उनके चरणों में नत होते हुए मैं सभी साहित्यिक मित्रों को निराला जयंती की हार्दिक बधाई देता हूँ।

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