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पिता का वर्णन कैसे करूँ –(Father’s Day : 17-06-2012)

Contemporary Thoughts
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समुद्र में पानी का जहाज है पिता,

रेगिस्तान में झील और तालाब है पिता |

अपने बच्चों का पालनहारा है पिता,

परिवार रुपी नाव का खेवनहारा है पिता |

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भयंकर गर्मी में वृक्ष की ठंडी छाया है पिता,

कड़कती ठंड में सुनहरी धूप की माया है पिता |

तेज बरसात में छतरी जैसा सहारा है पिता,

बसन्त ऋतु में खिलते फूलों जैसा नज़ारा है पिता |

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संस्कारों की पाठशाला है पिता,

आदतों, गुणों की कार्यशाला है पिता |

सुरक्षा देने वाला किला है पिता,

मुश्किल में काम आने वाला हौसला है पिता |

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जिन्दगी की कठिन राह में साथ चलता साया है पिता,

जीवन के हर क्षण में समाया है पिता |

पिता का वर्णन करने बैठो तो शब्द कम पड़ जाते हैं,

पिता की महानता के आगे मस्तक स्वयं झुक जाते हैं |

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–Dedicated to my respected father on Father’s Day.

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