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मैं पंजाब हूं……….स्वास्थ्य

Punjab Assembly Elections
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मेरी धरती पर 2.77 करोड़ लोग रहते हैं, जिसमें भिन्न-भिन्न जातियों व समाज के अमीर-गरीब व बहुत ही गरीब लोग हैं। इतिहास गवाह है कि जब देश की सुरक्षा की बात आई तो इसी धरती के लोगों ने सबसे पहले लोहा लिया। जब देश में अन्न का संकट आया तो इसी धरती का सीना चीर कर लोगों की भूख को मिटाया गया। लेकिन आज मुझे बीमारियों ने घेर रखा है। मेरी धरती पर रहने वाले लोग कैंसर से पीडि़त हो रहे हैं। मेरी धरती पर 12,423 गांव हैं, जिसमें से 11,859 गांवों का पानी खराब हो चुका है। टीबी व दिल के रोगियों की संख्या बढ़ रही है। मुझे मधुमेह ने जकडऩा शुरू कर दिया है। मेरी किडनियां खराब हो रही हैं। इसे सुधारने के लिए जो कुछ भी किया जा रहा है वह पर्याप्त नहीं है। कहने को पूरे एशिया में सर्वाधिक अस्पताल मेरी धरती पर हैं। लेकिन इन अस्पतालों में वही लोग जाते हैं जो संपन्न हैं। हालांकि मेरी धरती पर वो लोग भी रहते हैं जो दो वक्त की रोटी के लिए जूझते हैं। उनके स्वास्थ्य की जिम्मेदारी भी हमारी सरकारों की होती है। जिनके हाथों में हमारे स्वास्थ्य की जिम्मेदारी होती है वह मुझसे बड़े-बड़े वादे करते है। लेकिन अब मैं वादों पर नहीं, काम पर यकीन करता हूं। वादे सुन-सुन पर मेरा सीना भारी हो गया है। जिस घर का मुखिया कैंसर से जूझ रहा होता है उस घर के हालात देख कर मेरी आंखें भर आती हैं। जो पानी मेरे यहां के लोग पीते हैं, उससे वह बीमार पड़ जाते हैं। इसे देखना मेरे लिए कई बार असहनीय हो जाता है।

punjabआइए बताता हूं मेरे साथ किसने क्या-क्या किए वादे


कांग्रेस ने 2002 में किया था वायदा
-पंजाब हेल्थ सिस्टम कारपोरेशन को गरीब वर्गों को मुफ्त चिकित्सा सहायता के लिए पुनर्गठित किया जाएगा।
-ग्रामीण डिस्पेंसरियों व पब्लिक हेल्थ सेंटरों को आधुनिक व मजबूत बनाया जाएगा।


कितने वादे हुए वफा
कांग्रेस ने कारपोरेशन का पुनर्गठन तो नहीं किया अलबत्ता बीपीएल कार्ड जरूर बनाए। हालांकि कारपोरेशन के संविधान में ही लिखा है कि अति गरीब वर्ग को मुफ्त चिकित्सा सहायता दी जाएगी।


ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने व पंचायती राज को मजबूती प्रदान करने के लिए ग्रामीणडिस्पेंसरियों को जिला परिषद के तहत दे दिया। इसके अलावा सभी डिस्पेंसरियों को 25-25 हजार रुपये भी दिए गए ताकि वह इस धनराशि से डिस्पेंसरियों की मरम्मत करवा सकें। यह भी अनिवार्य था कि एक बाथरूम जरूर बनाया जाए।


अकाली दल-भाजपा ने 2007 में किए थे वादे


-पिछड़े लोगों की सहूलियत के लिए 500 करोड़ रुपये का विशेष फंड बनाया जाएगा।
-गरीब किसान, दलित व पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए नई सेहत बीमा योजना शुरू की जाएगी।
-65 वर्ष से ऊपर की उम्र वाले बुजुर्ग के लिए विशेष सेहत स्कीम लागू की जाएगी।
-कैंसर के रोकथाम के लिए मालवा में एक कैंसर अस्पताल बनवाया जाएगा व बाद में दोआबा और माझा में भी इसका विस्तार किया जाएगा।
-सब्सिडी के आधार पर सेहत सेवाओं के लिए कम से कम 2000 रुपये प्रति महीने आमदनी की सीमा को बढ़ा कर 3000 रुपये किया जाएगा।
-स्वास्थ्य के लिहाज से शुद्ध पीने के पानी का इंतजाम किया जाएगा।
-ग्रामीण इलाकों में डाक्टरों की उपस्थिति को सुनिश्चित किया जाएगा।


कुछ हुआ, कुछ रह गए कतार में
घोषणा पत्र में किए गए वादे कहीं पूरे हुए तो कहीं इसकी जरूरत ही नहीं पड़ी। वहीं कई योजनाओं का लाफ कुछ लोगों तक ही पहुंच पाया। मुफ्त सेहत सेवाओं के लिए 2000 रुपये प्रति माह कमाने वाले व्यक्ति सरकार को मिले नहीं तो 500 करोड़ रुपये का विशेष सेहत फंड बनाने के लिए सरकार ने कोई प्रयास ही नहीं किया।


केंद्र सरकार की योजना का लाभ उठाते हुए गरीब किसानों, दलित व पिछड़े वर्ग के लोगों को सेहत बीमा योजना का लाभ जरूर मिला, लेकिन यह सुविधा उठाने वाले लोगों की संख्या खासी कम है।


-पंजाब के कुल 12,423 गांवों में से 11,859 गांवों में पीने का पानी खराब हो चुका है, जिसमें से मालवा के गांव ज्यादा हैं। इसीलिए लंबी विधान सभा में सभी 72 गांवों में, गिद्दड़बाहा के 42 में से 34 और फरीदकोट में 8, मोगा में 14 व संगरूर में 11 आरओ प्लांट लगाए गए हैं।


मालवा को मिले दो कैंसर अस्पताल
मालवा सेक्टर में कैंसर के रोगियों की संख्या को देखते हुए यहां पर पब्लिक प्राइवेट साझेदारी के तहत बठिंडा और मोहाली में दो कैंसर अस्पताल खोले गए। बठिंडा में तो आनन-फानन में काम शुरू कर दिया गया पर मोहाली में अभी सेवाएं शुरू नहीं हो सकी हैं। हकीकत यह है कि बठिंडा में अभी भी स्टाफ और उपकरण पूरे नहीं हैं। मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की धर्मपत्नी सुरिंदर कौर के देहांत के बाद कैंसर रोगियों के इलाज के लिए 20 करोड़ रुपये के फंड से मुख्यमंत्री कैंसर राहत कोष शुरू किया गया। इसके तहत 1.5 लाख रुपये प्रति रोगी इलाज के लिए अस्पताल को दिया जा रहा है। अब तक 578 कैंसर रोगियों को 7.7 करोड़ रुपये बांटे जा चुके हैं।


स्वास्थ्य केंद्र हुए अपग्रेड
राज्य में चरमराई स्वास्थ्य सेवाओं के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए सरकार की ओर से कुछ मजबूत कदम उठाए गए। राज्य के पांच सब डिवीजन खडूर साहिब, मूनक, तपा, भुलत्थ, घुद्दा और डेरा बस्सी, बुढलाडा, बाबा बकाला तथा बादल गांव के हेल्थ सेंटरों को अपडेट किया गया। खास बात यह रही कि स्वास्थ्य केंद्रों को अपग्रेड करने पर सरकार की ओर से 350 करोड़ रुपये खर्च किए गए।


शुरू हुई इमरजेंसी एंबुलेंस सेवा
इमरजेंसी एंबुलेंस सेवा में अब पंजाब पिछड़ा नहीं है। 77 करोड़ रुपये की लागत से मरीजों को इमरजेंसी सेवाएं मुहैया करवाने के लिए 240 इमरजेंसी एंबुलेंस सेवा 108 शुरू की गई। निश्चित रूप से इमरजेंसी सेवाओं के लिहाज से यह महत्वपूर्ण कदम था।


भर्ती भी हुई
वर्ष 1998 से लेकर वर्ष 2009 तक स्वास्थ्य विभाग में कोई भी भर्ती नहीं हुई, जिसकी वजह से स्वास्थ्य सेवाओं पर बुरा असर पड़ रहा था। लेकिन वर्ष 2009-10 में 686 मेडिकल अफसर, 37 ड्रग इंस्पेक्टर तथा 3700 पैरामेडिकल स्टाफ (स्टाफ नर्स, रेडियोग्राफी आदि) की भर्ती की गई। यही नहीं, योजना है कि इस वर्ष के अंत तक डाक्टर के खाली पड़े पदों को भर दिया जाएगा। इसके लिए कैबिनेट से मंजूरी मिल चुकी है।

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