‘एनजीओ’ www.jagran.com/blogs/pvsharma Just another Jagranjunction Blogs Sites site हमने सोचा कि क्यों न एक एन जी ओ बनाया जाये
जो बच्चे बूढ़े नौजवानों के काम आये
हिन्दू मुस्लिम सिख इसाई जैन हों या बौद्ध
सब सुखी रहें और सब मुस्कुराएँ
पर्यावरण की कमान संभाली दद्दा ने
महिला विंग सम्भाली दीदी ने
कानून विभाग लिया अनुज ने
और वृद्धाश्रम सम्भाला अम्मा ने
अब बात शुरू हुई गाँव की हरियाली से
कुछ लोग पेड़ काट रहे थे
हमने दद्दा को कहा इन्हें रोकिये
बोले, बेवकूफ ये ही तो संगठन को दान कर रहे थे
फिर कुछ लोग आये बूढ़े माँ बाप के साथ
कुछ पैसे रखे अम्मा के हाथ
हमने कहा वृद्धाश्रम है तो पैसे क्यों मांगे
बोलीं संगठन का विकास इन पैसों के साथ
ये लोग पैसे वाले हैं
टाइम की कमी है इसलिए माँ बाप घर से निकाले है
ये तो अच्छा हुआ कि वृद्धाश्रम नजदीक है
बहुत से तो छोड़ने हरिद्वार तक जाने वाले हैं
इतने में आ गए कुछ और लोग
बहू से बड़े परेशान थे
भैया बड़े विद्वान थे
शांतिपूर्ण तलाक दिलाने के लिए लगा लिया भोग
बोले मुफ्त में कहीं संगठन चलते हैं
अधिकारी भी पालने पड़ते हैं
लोग तो पगार भी लेते हैं अपने एन जी ओ से
हम तो ईमानदारी पे चलते हैं
हमने कुछ सोचा और दीदी को बुलाया
उनको रोड सेफ्टी का पाठ पढाया
हमने सिर्फ हेलमेट पहनने को ही कहा था
तुरंत संगठन से निकलवाया
कहने लगीं तुम तो बेवकूफ हो
भारतीय नारी को भी नहीं जानते
सास की शिकायत न भी सुनो तो चलेगा
स्वतंत्रता पर कुठाराघात करते हो
हमे भी पाश्चात्य संस्कृति अपनाना है
आगे बढ़ते जाना है
तुम अपनी मानसिकता बदलो
भारतीय संस्कार पढो
अब हमे भारतीय संस्कृति समझ आई
पाश्चात्य नक़ल त्यागने में है भलाई
हम अपने संस्कार त्याग नहीं सकते
शत प्रतिशत पाश्चात्य अपना नहीं सकते
अगले दिन सुबह झोला उठाया
बच्चों का नाम इंग्लिश स्कूल से कटवाया
हिदी स्कूल में लिखवाया
तो ये ख्याल आया
हम कितनी बड़ी ग़लतफ़हमी में जी लेते हैं
बच्चे तो स्टेट बोर्ड में भी पढ़ लेते हैं
जिनको करनी होती है तरक्की
शेक्सपिअर नहीं, कालिदास पढ़कर भी कर लेते हैं
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