khushboo
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आती है दोस्त मुझको तेरी बहुत ही याद,
दिल की यही दुआ है तू हो जहाँ,हो शाद.
यूं तो तमाम मौसम आये गुज़र गए,
गुल शाख से जो टूटे जाने किधर गए.
दिल के चमन में कोई आया न तेरे बाद,
आती है दोस्त मुझको तेरी बहुत ही याद.
हमने तो रस्मे उल्फत हँस के निभा दिया,
तेरी ख़ुशी के वास्ते खुद को मिटा दिया.
कुछ ग़म नहीं है राहे वफ़ा में हुए बर्बाद,
आती है दोस्त मुझको तेरी बहुत ही याद,
दिल की यही दुआ है तू हो जहाँ,हो शाद.
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