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हिन्दुओं की हर जगह उपेक्षा
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अमरनाथ तीर्थयात्रियों पर काश्मीरी मुसलमान ईंटें पत्थर फेंक रहे हैं ,शिविरों को लूटा जा रहा है ,तीर्थयात्रियों से पापिस्तान जिंदाबाद नारे लगवाये जा रहे हैं लेकिन अब असहिष्णुता का देवता अपने घर में घुस गया है /कोई भी बुद्विजीवी अपने पुरस्कार नहीं लौटा रहा है / जस्टिस अहमदी को जयपुर में एक अधिवेशन में गुजरात कांड तो याद आता है लेकिन इसी जस्टिस को हर साल अमरनाथ में हिन्दुओं के साथ अत्याचार दिखाई नहीं देता है / हजयात्रा पर तो सारे नेता मुंबई के हवाई अड्डे पर हजयात्रियों को विदाई करते दीखते हैं लेकिन अमरनाथ जाने वालों को कोई हर कोई भूला रहता है /हिन्दुओं ने बड़ी आशा रखकर राष्ट्रवादियों को सत्ता शीर्ष पर पहुंचाया लेकिन राष्ट्रवादियों ने भी हिन्दुओं पर होते अत्याचार को सेकुलरिज्म के चश्मे से ही देखा ?वैसे तो पीएम आये दिन नए नए मुहावरे नारे और श्लोक पढ़ते रहते हैं लेकिन अमरनाथ त्रासदी पर पीएम के मुँह से एक भी शब्द नहीं निकला क्योंकि हर वर्ष हिन्दुओं को प्रताड़ित अपमानित लूटा पीटा जाता है लेकिन पीएम को काश्मीर की बाढ़ में ग्यारह सौ करोड़ रुपये बाँटने का समय मिला परन्तु एक बार भी अमरनाथ यात्रा पर हवाई सर्वे का एक मिनट तक न मिला ?इस्लामिक तुष्टिकरण भारत में एक राजनीतिक वरदान है क्योंकि सत्ता सुख भोगने का रास्ता इस्लामिक तुष्टिकरण के मंदिर से ही गुजरता है और इस अनोखे वरदान को पाने के लिए इसकी चौखट पर हर हिन्दू नेता भी अपनी नाक रगड़ता है /गरीब शोषित वंचित पीड़ित दलित महादलित मुसलमान ये भगवान् के नाम स्वरुप बन चके शब्द सेकुलरों और राष्ट्रवादियों के जुबान पर हर समय बैठे रहते हैं,अगर सोते सोते भी नेता बड़बड़ायेंगे तो सबसे पहले येही शब्द जुबान से निकालेंगे /मन मोहन सिंह ने कहा था कि प्राकृतिक संसाधनों पर पहला हक़ मुसलमानों का है और राष्ट्रवादियों ने इस शब्द की बहुत आलोचना व्याख्या की और लोकसभा चुनाव में बखूबी भुनाया लेकिन राष्ट्रवादी तो प्राकृतिक संसाधनों के साथ साथ भारत के आयकर दाताओं से मिले धन और इस धन से खरीदे गये ई रिक्शाओं पर भी पहला हक़ मुसलमानों का ही मानते हैं / सेकुलर जमातियों से लेकर राष्ट्रवादी नेताओं ने राजनीतिक लाभ के उद्देश्य से भारत भर में लाखों करोड़ों ई रिक्शा वितरित किये लेकिन लाभार्थी केवल मुसलमान क्योंकि हिन्दू शोषित पीड़ित वंचित कहाँ है और ई रिक्शा पाने के लिए तो दलित भी उचित पात्र नहीं क्योंकि संसाधनों पर पहला हक़ मुसलमानों का जो ठहरा ? शिव सेना के नेताजी भी आये दिन अपने अख़बार सामना में राष्ट्रवादियों को उपदेश नसीहत देते रहते हैं जिसका विवरण दिल्ली का बैठा ई मीडिया प्रसारित करता है जबकि इस अख़बार के पाठक केवल मुंबई में ही हैं लेकिन अख़बार सबसे पहले दिल्ली के मीडिया घरानों को मिलता है ?हिन्दुओं के लिये जी जान लड़ाने वाले तथाकथित मुंबई वाले राष्ट्रवादी भी अमरनाथ तीर्थयात्रियों की पिटाई लुटाई पर ख़ामोशी रखते हैं क्योंकि इस्लामिक तुष्टिकरण का वायरस अब उनको भी संक्रमित कर चूका है /दादरी में एक व्यक्ति क्या मरा कि सेकुलरों के पूर्वजों की आत्मा भी न्याय मांगने सडकों पर आ गईं लेकिन जब गौ माता की हत्या का प्रमाणिक सत्य प्रगट हुआ तो सेकुलरों और राष्ट्रवादियों के भी मुँह पर ताले लग गए /एक परिवार पर करोड़ों रुपियों की न्यौछावर हुई ,वाहवाही सेकुलरों की हुई और जेब हिन्दुओं की ही कटी क्योंकि आयकर दाता तो अधिकांश हिन्दू ही हैं /कांवड़ यात्रा पर आतंकी संकट का भय दिखाकर हिन्दुओं की संख्या घटाने का षड्यंत्र रचा जा रहा है क्योंकि इन पंद्रह दिनों में ही उत्तरी भारत में भगवा सैलाब प्रगट होता है जिससे सेकुलरों के दिल दिमाग पर वासुकि नाग लोटने लगता है ,कांवड़ यात्रा में डीजे बंद ,शिविर बंद और न जाने क्या क्या प्रतिबन्ध लगाये जाते हैं लेकिन रमजान महीने में बिजली पानी चौबीस घंटे क्योंकि संसाधनों पर पहला हक़ मुसलमानों का जो ठहरा / मैंगलोर से मुरादनगर तक का कुल एक सौ बीस किलोमीटर का कांवड़ मांर्ग इतना अभिशापित है कि नहर किनारे बना इस मार्ग का दो तिहाई हिस्सा हिन्दू जाट बाहुल्य क्षेत्रों से गुजरता है जिस कारण इस मार्ग का नाम भारत के एक पूर्व पीएम के नाम समर्पित है लेकिन सौभाग्यवश इस नहर किनारे एक तिहाई मुस्लिम आबादी भी है,लेकिन हर साल लाखों रुपिये मार्ग मरम्मत के नाम पर नेता बाबुओं का नेक्सस डकार जाता है फिर भी मार्ग चलने लायक नहीं , न रौशनी और न ही कोई सुख सुविधा क्योंकि हिन्दुओं को तो ही इस मार्ग से गुजरना है और अगर हिन्दुओं को कोई सुख सुविधा मिल गई तो एक तिहाई मुस्लिम वोटें खतरे में पड़ जायेंगी ,बस कभी आतंकी तो कभी कोई और ख़तरा पैदा कर दिया जाता है, अगर आतंकी खतरा भी है तो सीआरपीएफ ,सेना और पुलिस बल काहे के लिये हैं लेकिन राष्ट्रवादियों को भी अपनी छवि सुधारनी है जी ,इसलिए बोलती इनकी भी बंद ?खैर अब क्या कर सकते हैं ,अब दोष किसको देवें क्योंकि सत्तासुख भोगने के लिए इस्लामिक तुष्टिकरण अनिवार्य है और बेचारे हिन्दू टैक्स भी देवें साथ में अपने ही देश में शरणार्थी बनकर रखने को मजबूर !!!
रचना रस्तोगी
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