- 178 Posts
- 240 Comments
एकाधिकार यानि मोनोपॉली किसी की नहीं
“हीरा” निःसदेह एक बहुमूल्य रत्न है लेकिन यह आवश्यक तो नहीं कि प्रत्येक ग्रह या राशि या नक्षत्र को सूट करे यानि कुंडली में ग्रह नक्षत्र और राशि के साथ अन्य ग्रहों राशियों नक्षत्र के मित्र एवं शत्रु संबंध की भी गणना करने में बाद ही ज्योतिषी कोई विशेष रत्न धारण करने का परामर्श देते हैं और ऐसा भी नहीं है कि वह रत्न हर धातु और हर अंगुली में धारण किया जा सके और रत्न धारण करने का भी बाकायदा एक दिन और मूर्हत होता है और रत्न विक्रेता ग्राहक को केवल हीरा ही धारण करने का परामर्श केवल इसी आधार पर दे कि “हीरा” का कोई विकल्प ही नहीं और लहसुनिया मोती गोमेद तो पत्थर हैं इनका हीरे से क्या मुकाबला ?ज्योतिषीय परामर्श में कोई भी रत्न स्थायी रूप से ग्रहण भी नहीं होता है यानि पीड़ित व्यक्ति के प्रश्नों के आधार पर रत्न धारण विकल्प बनते रहते हैं /ऐसे ही माना कि कोई अत्यंत बुद्धिमान चिकित्सक तो हो लेकिन मरीज की बीमारी बजाय ठीक होने के मर्ज अधिक बिगड़ने लगे लेकिन हॉस्पिटल स्टॉफ यही दुहाई दे कि इस इस डाक्टर का कोई विकल्प नहीं शेष अन्य डाक्टर तो झोलाछाप जैसे हैं तो मरीज का अंतिम संस्कार भी निकट संभावित है /शिक्षक कितना भी पढ़ा लिखा योग्य ईमानदार हो लेकिन विद्यार्थियों को विषय समझाने और उनके प्रश्न हल करने में असफल हो तो वह विद्यार्थियों के किसी काम का नहीं भले ही विद्यालय यही कहता रहे कि इस अध्यापक का कोई विकल्प नहीं ?हर समस्या के समाधान का विकल्प हर समय सदैव तैयार रहता है केवल विकल्प खोजने की इच्छा शक्ति की आवश्यकता है क्योंकि एकाधिकार यानि मोनोपॉली किसी की नहीं ?शिक्षा का महत्व भी यही है कि विकल्प चयन करने की विवेक जाग्रत हो /
Read Comments