- 178 Posts
- 240 Comments
“न भूतो न भविष्यति ”
पहली फ़रवरी को विश्व के महानतम अर्थशास्त्री ने विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश का आगामी वार्षिक वित्तीय बजट प्रस्तुत किया जिसकी पूरी देश में जमकर उनकी प्रशंसा हुई और सांसदों ने तो मेजों को थपथपाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया और एक बार तो ऐसा लगा कि सांसदों के हाथ लकड़ी की मेजों पर नहीं बल्कि सवा सौ करोड़ देशवासियों के गाल पर पड़ रहे हों /पूरे देश में हर्ष आनंद का वातावरण है /देवता दुदुंभी बजा रहे हैं ,कोयलें मधुर संगीत सूना रही हैं ,शंकर जी प्रसन्न हो रहे हैं और साकेत लोक में बैठे भगवान् राम जगतजननी माँ सीता से कलियुग में रामराज्य स्थापित होने पर अच्छे दिनों के आगमन का गुणगान कर रहे हैं और उधर भगवान् हनुमानजी भी रामजी के भजन न गाकर नेताओं का गुणगान कर रहे हैं /किसानों के बैल खुद ही खेत जोतने के लिये निकल पड़े हैं /गौवें भी अब अपनी दुर्दशा के ख़त्म होने पर अबसे प्रतिदिन एक लीटर दूध अधिक दिया करेंगी यानि पशुपालक को एक लीटर दूध का मूल्य अधिक मिलेगा जिसकी लागत भी मुफ्त / शुकदेव महाराज तक भी भागवत कथा बीच में ही रोककर बजट भाषण सुनने लगे क्योंकि यह ऐतिहासिक बजट था और “न भूतो न भविष्यति” कह रहे हैं /रामचरित मानस की भी संशोधित प्रति शीघ्र प्रकाशित होगी /प्रकृति का सौन्दर्य देखते ही बनता है क्योंकि जगह जगह सूखे पड़े पोखरों में भी बिना पानी के ही कमल खिलने लगे हैं /फाल्गुन महीने की प्रथम तिथि से पूरी प्रकृति आनंदविभोर हो रही है /पर्वतराज हिमालय भी एक दिन पहले ही बजट सुनने आ गए थे तभी भूकंप के झटके एक दिन पहले महसूस हुए थे /कहते हैं कि जब सामूहिक हर्ष आनंद का उत्सव मन से मनाया जाता है तो सर्दियाँ ख़त्म हो जाती है और ऐसा ही कुछ हुआ भी कि अचानक मौसम गर्म होने लगा है और एक ही दिन पहले लोगों ने ब्लू मून ,रेड मून भी देखा जो कि कुदरत का करिश्मा कहा जाता है /गेंहू की बालियाँ अचानक बड़ी हो गयी हैं और शुगर मिलों में पड़े गन्ने में अचानक मिठास भी बढ़ गयी है /लेकिन कुछ आसुरी शक्तियां इस दुर्लभ संयोग को पचा नहीं पा रही है और इस बजट को “ज्ञान एवं अनुभव की कमी” बताकर ख़ारिज कर रही हैं लेकिन आसुरी शक्तियां पिछले सत्तर सालों में चुप रहती थीं और यह भी बता नहीं हैं कि सत्तर साल पहले भारत में था ही क्या ?चौबीस नये मेडिकल कॉलिज खुलेंगे और तीन लोकसभा क्षेत्रों में एक मेडिकल कॉलिज खुलेगा जिसमे मरीज स्वयं डाक्टर बनकर उपचार करेंगे क्योंकि जो पहले से ही मेडिकल कॉलिज खुले हुए हैं उन्ही में जब डाक्टर पैरामेडिकल स्टाफ और उपकरण दवाइयां नहीं हैं तो इन नए मेडिकल कॉलिजों में कहाँ से आयेंगे लेकिन खुलना तो इनका निश्चित हो ही गया है ,पहले की सरकारों ने मरीजों को इलाज करना सिखाया ही नहीं था वर्ना आज डाक्टरों की तथाकथित कमी नहीं होती /कुछ दिनों पहले ही भगवान धन्वंतरि का अवतार लिए ही मंत्रीजी कह रहे थे कि अस्तपतालों के बाहर खड़े रिक्श्वा चालकों को छह महीने की ट्रेनिंग देकर इलाज करना सिखाया जायेगा ,यही कहीं ये चौबीस नए मेडिकल कॉलिज उनको ही तो ट्रेनिंग नहीं देंगे और उसके बाद यही मेडिकल शिक्षक बनाकर तैनात कर दिए जायेंगे ?नये अस्पताल भी खोले जायेंगें क्योंकि पुराने सभी अस्पतालों में जरूरत से अधिक डाक्टर नर्स दवाएं इकठ्ठा हो गये हैं ।स्कूलों कॉलिजों यूनिवर्सिटी में मास्टरों की अब क्या जरुरत है क्योंकि जब अब पढ़े लोग बेरोजगार रहने ही हैं तो पकौड़े बेचने के बाद बचे खाली समय में अपने बच्चों को खुद पढ़ाया करेंगे और एक्जाम के लिये स्कूल कॉलिज जाने की अनिवार्यता ख़त्म करके ऑनलाइन परीक्षा आयोजित की जाया करेंगी जिससे पैसों समय दोनों की बचत होगी और इंफ़्रास्ट्रक्चर का झंझट भी ख़त्म क्योंकि सरकार ने ब्लैकबोर्ड ख़त्म करने की घोषणा की है जिससे चाक डस्टर का खर्च भी बंद हुआ, ऑडियो वीडियो कैसट्स बाजार में बिकेंगी और शिक्षा ऑनलाइन क्योंकि इससे पहले भी तो ऋषिकुलों गुरुकुलों में शिक्षक मौखिक भाषण ही तो देते थे और शिष्य सुनते थे और उसको वेदों में श्रुतियाँ कहा गया है /भगवान् वेदव्यास ने महाभारत में एक सफल प्रयोग किया था ,भगवान् कृष्ण ने अपने चेले अर्जुन को गीता उपदेश सुनाया ही तो था ,कोई लिखकर या ब्लैकबोर्ड पर लिखकर नहीं पढ़ाया था और उस दिव्य भाषण का ऑडियो वीडियो प्रेजेंटेशन संजय को सुलभ हुआ जिसका उसने ऑडियो प्रिजेंटेशन धृतराष्ट्र के सामने किया और आज पूरे विश्व में सभी भाषाओँ में मात्र पांच रूपया प्रति पुस्तिका से लेकर पांच सौ रूपया तक में गीता सुलभ है लेकिन एक सरकार ने इसके महत्व को समझते हुए मात्र कुछ हजार मूल्य में खरीदी शायद इसकी प्रति सीधे संजय से ही प्राप्त की हो क्योंकि खर्चा तो होता ही है क्योंकि यानि तब तो भारत में “इसरो” भी नहीं था और जब इसरो सौ सेटेलाइट अंतरिक्ष में स्थापित कर चूका है तो स्कूलों कॉलिजों यूनिवर्सिटी में ऑडियो वीडियो प्रेजेंटेशन से ही शिक्षण कार्य संपन्न किया जायेगा ?आनंद के इस महोत्सव में सभी की उपस्थिति देखने योग्य है /लेकिन देश को आसुरी शक्तियों से भी तो बचाना जरूरी है क्योंकि असुर विपक्षी मानसिक रोगी तत्व बिना सोचे समझे ही इस दैवीय संपदा रूपी बजट की निरर्थक आलोचना कर रहे हैं और जो लोग कभी स्कूल तक नहीं गये वे बजट की आलोचना करके ईश निंदा जैसा महापाप कर रहे हैं ।
रचना रस्तोगी
Read Comments